नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी इनदिनों भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हुए हैं। वह कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक जाएंगे। इस दौरान कई विवाद भी सामने आए, जिसको लेकर राहुल गांधी देश-दुनिया की सुर्खियों में छाए रहे। ऐसा ही एक और नया मामला सामने आया है। जहां केजीएफ टू की म्यूजिक लेबल कंपनी एमटीआर ने राहुल गांधी के ऊपर चोरी का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज करवाया। कंपनी का आरोप है कि राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा के प्रमोशन में केजीएफ टू का गाना समंदर में लहर उठी है जिद्दी जिद्दी है तूफान चट्टाने भी कांप रहे हैं, जिद्दी जिद्दी है तूफान का इस्तेमाल किया है और इसके लिए उनसे परमीशन नहीं ली गई है।
म्यूजिक कंपनी एमटीआर का कहना है कि केजीएफ टू के हिंदी वर्जन के राइट्स पाने के लिए कंपनी ने मेकर्स को मोटी रकम चुकाई थी। लेकिन कांग्रेस ने राजनीतिक एजेंडे और मार्केटिंग उद्देश्यों के लिए बिना किसी लाइसेंस के भारत जोड़ो यात्रा कैंपेन में साउंडट्रेक का इस्तेमाल किया है। एमटीआर म्यूजिक के बिजनेस पाटनर एम नवीन कुमार की शिकायत पर बेंगलुरु के यशवंतपुर थाना पुलिस ने राहुल गांधी के अलावा राज्यसभा सांसद जयराम रमेश और कांग्रेस के सोशल मीडिया और रिस्टल प्लेटफार्म की चेयर पर्सन सुप्रिया श्रीनेत के खिलाफ केस दर्ज किया है।
कंपनी की तरफ से दी गई तहरीर के आधार पर पुलिस ने राहुल गांधी, जयराम रमेश और सुप्रिया श्रीनेत के खिलाफ आईपीसी की धारा 403( संपत्ति की बेईमानी से हेराफेरी) 465 (जालसाजी )120ई (आपराधिक साजिश) और धारा 63 कॉपीराइट अधिनियम 1957 के तहत केस दर्ज किया गया है। बता दें, कॉपीराइट एक्ट 1957 सेक्शन 63 के तहत 3 साल की जेल और 50000 से रू 300000 तक के जुर्माने की सजा है। कॉपीराइट एक्ट का उल्लंघन करने पर बिना वारंट के पुलिस द्वारा आरोपी का मोबाइल लैपटॉप व सिस्टम सीज किया जा सकता है।
राहुल गांधी पर एफआईआर दर्ज होने पर कांग्रेसी से राजनीति से प्रेरित बता रही है कांग्रेस कह रही है कि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा से विपक्षी पार्टियां खासकर सताना सिंदल भयभीत हैं। जिस तरह से विशाल जनसैलाब राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा में जुड़ रहा है उसने सभी पार्टियों में बेचैनी बढ़ा दी है और शायद इसी बेचैनी की वजह से लगातार बीजेपी कांग्रेस को टारगेट कर रही है। राहुल गांधी को निशाना बना रही है और कॉपीराइट एक्ट का बहाना बनाकर राहुल गांधी को परेशान करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन ना राहुल रुकेंगे और ना यात्रा।
राहुल गांधी सियासत में लगभग डेढ़ दशक बिता चुके हैं, फिर भी उन पर नॉन-सीरियस राजनीति का लेबल चस्पा किया जाता रहा है। राहुल के बारे में यह भी कहा जाता है कि हर थोड़े से अंतराल के बाद उन्हें सियासत से ब्रेक चाहिए होता है। भारत जोड़ो यात्रा में जिस तरह से राहुल न सिर्फ अगुवाई कर रहे हैं, बल्कि लगातार यात्रा से जुड़े हुए हैं, उससे लोगों में कहीं न कहीं संकेत गया है कि वह अब पार्ट टाइम पॉलिटिशन नहीं हैं। अपनी आलोचनाओं से बेपरवाह होकर जिस तरह से वह लगातार यात्रा को लीड करते रहे, लोगों से मिलते रहे, अहम मुद्दों पर अपनी राय जाहिर करते रहे, उससे कहीं न कहीं यह संदेश गया कि राहुल अब गंभीर राजनीति के लिए तैयार हैं।
कहा जा रहा है कि पिछले दो महीने में राहुल एक बड़े नेता के रूप में उभरे हैं। एक ऐसा नेता, जो लोगों के बीच जाता है, उनसे जुड़ने की कोशिश करता है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश का कहना है, ’अब तक की यात्रा ने राहुल को एक नए रूप में नहीं, बल्कि उनके असली रूप में सामने रखा है। यात्रा में राहुल जो नजर आ रहे हैं, वहीं उनका असली रूप है।’ रमेश इस यात्रा को कांग्रेस का कायाकल्प बताते हैं। मैसुरू की एक जनसभा में रात को राहुल के संबोधन के वक्त बारिश आ गई। लेकिन, राहुल ने अपना भाषण जारी रखा और कहा कि अब हमें कोई नहीं रोक सकता। इस वाकये की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हुई और इसने जाहिर तौर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच ऊर्जा का नया संचार किया होगा।
राहुल गांधी की वो भावभंगिमा उनके मजबूत इरादे की झलक थी, जो अपनी राह में किसी भी अवरोध का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। फिर चाहे अपनी मां के जूते के फीते बांधना हो या अपने एक सीनियर नेता को दौड़ने के लिए प्रेरित करना, ऐसी तमाम घटनाएं सार्वजनिक तौर पर उनके विभिन्न आयामों को सामने ला रही हैं। यात्रा में जिस तरह से राहुल गांधी लोगों के बीच जाकर उनसे मिलते जुलते, हाथ पकड़ कर चलते, कभी उंगली थामे तो कभी किसी बुजुर्ग मां को गले लगाते दिखे, उसने उन्हें एक मास लीडर के तौर पर उभारने का काम किया है। यात्रा के शुरू में उन्होंने मीडिया में कहा था कि इस यात्रा के जरिए वह न सिर्फ अपने देश को बेहतर तरीके से जान और समझ पाएंगे, बल्कि उन्हें खुद अपने को भी समझने में मदद मिलेगी।
यात्रा ने कहीं न कहीं कांग्रेस के भीतर एक आत्मविश्वास भरा है। कांग्रेस के आम वर्कर और नेता पार्टी की लगातार हार से हताश होकर बैठ गए थे, इस यात्रा ने उसके भीतर एक नया जोश और आत्मविश्वास भर दिया है। इस बारे में कांग्रेस के एक पदाधिकारी व भारत यात्री सचिन राव का कहना था कि जब यात्रा शुरू हुई तो मन में लगा था कि पता नहीं हम चल पाएंगे या नहीं। लेकिन एक महीने बाद अब मन में दृढ़ विश्वास हो गया है कि हम यह यात्रा जरूर पूरी करेंगे। कांग्रेस के आम वर्कर को लग रहा है कि जब राहुल गांधी व दूसरे बड़े नेता लगातार सड़कों पर हैं तो उसे भी मेहनत से घबराना नहीं चाहिए।