रांची: मेहनत करने से हर चीज हासिल हो सकती है। इसका ताजा उदाहरण साहेबगंज के सुधरूवर्ती गांव बरहरवा के पास मोगलपारा से वर्ष 2005 में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक बीआईटी मेसरा पहुंचे पूर्ववर्ती छात्र डॉक्टर दिपन कुमार का है जो की विज्ञान के क्षेत्र में नए-नए मुकाम हासिल कर रहे है। अब तक 18 पेटेंट अपने नाम करने के बाद इस वर्ष के अंत में 5 और पेटेंट अपने नाम करवाने का लक्ष्य रख रहे है….
दिपन जी बताते है की एक दिन अचानक से उनके घर में गैस सिलेडर खत्म हो गया और इसकी वजह से उनकी माता जी बहुत ज्यादा परेशान हो गई। तो उन्हे एकदम से विचार आया की क्यों नही एक ऐसी डिवाइस बनाई जाएं, जिससे यह पता चल सके की कितनी गैस शेष बची है। उन्होंने आर्टिफिकल टेक्नोलॉजी की मदद से यह डिवाइस तैयार किया।
उन्हे इस डिवाइस को बनाने के लिए 6 महीने लग गए। इस किट के द्वारा ना सिर्फ गैस सिलेडर की शेष बची गैस का पता लग सकता है बल्कि सीएनसी और प्लांट और अस्पतालों में लगने वाले ऑक्सिजन गैस सिलिंडर को इंस्टाल कर गैस की मात्रा का भी पता लगाया जा सकता है।
2017 में महाराष्ट्र की एक यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर के पद पर रहे और वर्ष 2023 में सीएसआईआर, एएमपीआरआई भोपाल में बतौर विज्ञानी कार्यरत है।
कितनी है कीमत
दिपन कुमार ने बताया की अगर इसके उत्पादक मिल जाए तो यह किट 500 रुपए से कम कीमत में मिल सकेगा। इस डिवाइस को आप अपने मोबाइल फोन से इंटरनेट के द्वारा कनेक्ट कर सकते है। इस डिवाइस में लगे सेंसर और मेमोरी से एक से अधिक लोग कनेक्ट हो सकते है।
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