बड़ी ख़बरें
Yogi Adityanath के एक फैसले ने विपक्ष की उम्मीदों को किया ध्वस्त,अब मोदी की हैट्रिक कोई नही रोक सकता !देव भूमि पर फिर मंडराया तबाही का साया ! तुर्की से भी बड़ी आएगी उत्तराखंड में तबाही देवभूमि में मिलने लगी भूकंप की आहट ! देवभूमि में बज गई खतरे की घंटी आने वाली है महा तबाही ..अपनी सुनहरी आवाज से Bollywood को हैरान करने वाले Amarjeet Jaykar को मुंबई से आया बुलावा ,रानू मंडल की ही तरह है अमरजीत जयकर की कहानी ,सोशल मीडिया में रातो रात छा गया था मजदूरी करने वाला एक अमरजीत !जडेजा के “कलाई जादू” से पस्त हो गए मेहमान फिरकी के फेर में फंसे कंगारू नागिन डांस करने को मजबूर! भारत तीनों फॉर्मेट में बना नंबर वन!GlobalInvestorSummit:एमएसएमई कैबिनेट मंत्री राकेश सचान डकार कर बैठे 72 प्लाटों का आवंटनGeneralElection2024:BJP इंटरनल सर्वे ने उड़ाई सांसदों की नीद 100 से ज्यादा सांसदों का होगा पत्ता साफ!GeneralElection2024:अखिलेश ने किया भाजपा को आम चुनाव में पटकनी देने का प्लान तैयार , जातीय जनगणना की मांग से देंगे धारMayawatiOnYogi:बीजेपी ने उठाया हिंदू राष्ट्र का मुद्दा,बसपा को सताई दलितों के वोट कटने की चिंता !DelhiMcdFight:Bjp का दिल्ली में मेयर बनाने का सपना हो गया चकनाचूर !मेयर की महाभारत में अब लग गया विराम!ElectionCommissionDecision:शिव सेना पर कब्जे की लड़ाई में जीते मुख्यमंत्री शिंदे उद्धव को मशाल जलाने की मजबूरी पार्टी पर कब्जे की लड़ाई में EC का फैसला शिंदे के पक्ष में

Shaligram stone: नेपाल की गंडकी नदी की शिलाओं से क्यों बनाई जा रहीं हैं रामलला की मूर्तियां… इसके पीछे क्या है पौराणिक आस्था

Ram Mandir: राम मंदिर (Ram Mandir) में रामलला (Ramlala) की मूर्तियों के लिए नेपाल की गंडकी नदी (Gandaki River ) से दो विशालकाय शिलाओं को लाया गया है। यह नेपाल (Nepal) से सकड़ के रास्ते अयोध्या (Ayodhya) लाई जा रही हैं। 127 क्विंटल की शिलाओं से भगवान राम और सीता की प्रतिमाएं बनाई जाएंगी। मूर्तियां बनाए जाने पहले इन शिलाओं की विधी विधान से पूजन किया जाएगा। यह 6 लाख साल पुराने शालिग्राम पत्थर (Shaligram stone) की खसियत पौराणिक है।

शालिग्राम पत्थर को शास्त्रों में साक्षात विष्णु स्वरूप माना जाता है। हिंदू शालीग्राम भगवान की पूजा करते हैं। यह पत्थर उत्तर नेपाल की गंडकी नदी में पाया जाता है। हिमालय से आने वाला पानी इन चट्टानों से टकराकर पत्थर को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है। इन्हीं की मूर्ति बनाकर उन्हें पूजा जाता है। वहीं, अगर विज्ञान के हिसाब के समझें तो ये पत्थर एक तरह का जीवाश्म है, जोकि 33 तरह के होते हैं।

देशभर में इन पत्थरों को तलाशकर इनकी मूर्तियां बनाई जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पत्थर को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में पूजा जाता है। मान्यता यह भी है कि इसे कहीं भी रखकर पूजने से उस जगह पर लक्ष्मी का वास होता है। 2024 की मकर संक्रांति से पहले भगवान रामलला की प्रतिमा इस पत्थर से बनकर तैयार हो जाएगी। इन पत्थरों का सीधा रिश्ता भगवान विष्णु और माता तुलसी से भी है। इसलिए शालिग्राम की अधिकतर मंदिरों में पूजा होती है और इनको रखने के बाद प्राण प्रतिष्ठा की जरूरत भी नहीं होती।

भारत लाए जा रहे ये दो पत्थर 5-6 फीट लंबे और लगभग 4 फीट चौड़े हैं। इनका वजन लगभग 18 और 12 टन है। ’राम लला’ की प्रतिमा इन चट्टानों से उकेरी जाएगी और मूल गर्भगृह में स्थापित की जाएगी। इन पवित्र चट्टानों से रामलला के साथ सीताजी की प्रतिमा भी तराश कर बनाई जाएगी। 2024 में मकर संक्रांति (14 जनवरी) को राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की नई मूर्ति स्थापित की जाएगी।

Related posts

Leave a Comment

अपना शहर चुने

Top cities