शहीद ऊधम सिंह के 84वें बलिदान दिवस पर मुख्यमंत्री भगवंत मान उनके पैतृक शहर सुनाम पहुंचे। केंद्र सरकार से शहीद ऊधम सिंह को राष्ट्रीय शहीद का दर्जा दिलाने के सवाल पर मान ने कहा कि केंद्र सरकार से किसी तरह का सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है। महान शहीदों को राष्ट्रीय शहीद का दर्जा देने वाली केंद्र की सरकार कौन होती है। देश के 140 करोड़ देशवासी ऐसे महान शूरवीरों को उच्चतम दर्जा देते हैं..
मान ने कहा कि शहीद ऊधम सिंह, शहीद करतार सिंह सराभा, शहीद-ए-आजम भगत सिंह जैसे योद्धाओं को यदि देश का सर्वोच्च भारत रत्न दिया जाए तो इससे भारत रत्न का सम्मान व गरिमा बढ़ेगी। मुल्क वासियों में शहीदों के प्रति पहले से ही बड़ा रूतबा है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि केंद्र सरकार कौन होती है जो यह तय करे कि कौन शहीद है और कौन नहीं। क्या ऐसे महान शहीदों की किसी सरकार के प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ेगी?
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों में चुनी हुई सरकारों के अधिकारों को छीनने वाले अध्यादेश से क्या शहीदों की आत्मा सुकून मिलेगा । लोकतंत्र की बहाली के लिए शहीदों ने शहादतें दीं और यदि लोकतंत्र के ख़िलाफ़ कुछ आएगा तो शहीदों की आत्मा तड़पेगी । देश का लोकतंत्र किसी के बाप की जागीर नहीं है। अगले साल देश की जनता, अपने ही हक में फैसला सुना देगी। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा, विधायक वरिंदर गोयल, विधायक लाभ सिंह उगोके, काउंसिल अध्यक्ष निशान सिंह टोनी आदि उपस्थित रहे।
पूर्व वित्तमंत्री ने शहीद ऊधम सिंह को दी श्रद्धांजलि
अकाली दल संयुक्त के वरिष्ठ नेता व पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा ने शहीद ऊधम सिंह के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि पंजाब में आम आदमी की नहीं बल्कि शाही पार्टी की सरकार है। इस सरकार ने तो अनाज मंडियों में होने वाले विशाल शहीदी समारोहों को एसी हाल तक सीमित कर दिया है । सरकार ऐसे समारोहों पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।
उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए केंद्र की ओर से भेजी ग्रांट की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों को राहत नहीं मिल रही है। ढींडसा ने कहा कि सरकार को हरेक तहसील स्तर पर यूपीएससी कोचिंग सेंटर खोलने चाहिए। शहीद ऊधम सिंह का सपना था कि उनके मुल्क का हरेक नौजवान शिक्षित हो।
विज्ञापन पर 750 करोड़ रुपये खर्च करने के बजाय युवाओं को शिक्षित करने पर खर्च करने की ज़रूरत है। इस दौरान एसजीपीसी के पूर्व सदस्य सनमुख सिंह मोखा, प्रितपाल सिंह हांडा, गुरुचरण सिंह धालीवाल, सतगुर सिंह, यादविंदर निर्माण, मनिंदर सिंह, सोहन भंगू, दर्शन मोरांवाली, नरेश जिंदल, प्रितपाल काला, बाबा सिंह, रूप सिंह, मनप्रीत सिंह गिल, परमिंदर जार्ज, गुरसिमरत सिंह, रोहतास बंगाली आदि उपस्थित रहे।