नई दिल्ली। एनआईए ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के देशभर में स्थित 150 से ज्यादा ठिकानों में छापा मारा और संगठन से जुड़े 106 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। एनआईए ने इस ऑपरेशन को मिडनाइट नाम दिया। इसे सफल बनाने के लिए ईडी के अलावा एनआईए के 31 से ज्यादा आईपीएस अफसरों के साथ ही 12 राज्यों के 5 हजार से जवान शामिल थे। कार्रवाई में पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमए सलाम, दिल्ली प्रमुख परवेज अहमद भी पकड़े गए हैं। पूरे रेड की निगरानी खुद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल कर रहे थे। इसके लिए गृहमंत्रालय में एक कंट्रोल रूम बनाया गया था, जिसके जरिए हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही थी। पूरा ऑपरेशन देररात शुरू हुआ और गुरूवार की सुबह खत्म हो गया।
एनआईए ने गुरूवार की रात 1 बजे ऑपरेशन मिडनाइट शुरू किया। इस ऑपरेशन के लिए 6 कंट्रोल रूम बनाए गए थे। बाद में यहां से और राज्यों से एनआईए के सीनियर अधिकारी जुड़ गए थे। गृह मंत्री अमित शाह इस पूरे मामले पर नजर रख रहे थे। सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय में 3 दिन पहले एक बड़ी बैठक एनआईए, ईडी और आईअी के अधिकारियों की हुई थी। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद थे। इसके बाद पूरे ऑपरेशन को बेहद सीक्रेट तरीके से अंजाम दिया गया। रात में ऑपरेशन को अंजाम इसलिए दिया गया ताकि पीएफआई से जुड़े लोग हंगामा न कर सकें।
ऑपरेशन मिडनाइट में एनआईए के 200 कर्मी शामिल थे। इनमें 4 आईजी, 1 एडीजी और 16 एसपी थे। इसमें राज्य पुलिस और सीआरपीएफ को भी हिस्सा बनाया गया था। इनके 1000 कर्मी इस ऑपरेशन का हिस्सा थे। कमांड सेंटर गृह मंत्रालय में बनाया गया था। 200 से ज्यादा पीएफआई के सदस्य संदेह के घेरे में थे। संबंधित टीमों को इनका पूरा ब्योरा दिया गया था। टीम ने 150 से ज्यादा मोबाइल फोन, 50 से अधिक लैपटॉप के अलावा संवेदनशील दस्तावेज जब्त किए हैं। इन दस्तावेजों में विजन डॉक्यूमेंट, एनरोलमेंट फॉर्म, बैंक डिटेल शामिल हैं। पिछले एक हफ्ते से सभी संदिग्धों की धर-पकड़ के लिए जाल बिछाया जा रहा था।
दरअसल पिछले दो साल में देशभर के अलग-अलग राज्यों में कई मजहबी हिंसा की घटनाएं हुईं। ज्यादातर साजिश के तार पीएफआई से जुड़े। दिल्ली और फिर इस साल भाजपा प्रवक्ता रहीं नुपुर शर्मा के बयान के बाद जून-जुलाई में हुए देश के अलग-अलग शहरों में हुई हिंसा की कड़ी भी पीएफआई से ही जुड़ी थी। पीएफआई पर हिंसा की प्लानिंग और फंडिंग का आरोप लगा। इसी महीने आठ सितंबर को एनआईए ने बिहार के कई जिलों में एक साथ छापा मारा था। एनआईए की टीम ने अररिया, छपरा, नालंदा में कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। दस दौरान पटना में फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल सामने आया था। इनका लिंक भी पीएफआई से जुड़ा था।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बार-बार दंगों और हिंसा में पीएफआई का नाम आने के बाद सरकार ने कार्रवाई की तैयारी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से बातचीत के बाद कार्रवाई के लिए की मंजूरी थी। एनएसए अजीत डोभाल ने अपने टॉप अफसरों के साथ इसकी पूरी योजना तैयार की। पीएमओ से जुड़े सूत्र कहते हैं कि अगस्त के आखिरी हफ्ते में गृहमंत्री अमित शाह और एनएसए अजीत डोभाल ने पूरी प्लानिंग तैयार कर पीएम नरेंद्र मोदी को दिखाई। उन्हें बताया गया कि इस पूरे ऑपरेशन को कैसे अंजाम दिया जाएगा। पीएम से हरी झंडी मिलने के बाद अजीत डोभाल ने काम शुरू कर दिया।
दो सितंबर को अजीत डोभाल पीएम मोदी के साथ खुद केरल पहुंचे थे। यहां कोच्चि में पीएम मोदी ने आईएनएस विक्रांत को भारतीय नौसेना में शामिल क्या था। इस दौरान एनएसए डोभाल भी उनके साथ ही मौजूद थे। बताया जाता है कि कार्यक्रम खत्म होते ही पीएम मोदी दिल्ली के लिए रवाना हो गए, लेकिन अजीत डोभाल ने इसी बीच केरल के टॉप पुलिस अफसरों के साथ बैठक की। इसके बाद डोभाल मुंबई पहुंचे। यहां भी उन्होंने राजभवन के सुरक्षा अधिकारियों के साथ मीटिंग की। महाराष्ट्र के टॉप पुलिस अधिकारियों से भी बात की। अजीत डोभाल ने इस पूरे ऑपरेशन को सीक्रेट रखा था। डेट और समय की जानकारी सिर्फ डोभाल, गृह सचिव, गृहमंत्री शाह और पीएम नरेंद्र मोदी को ही थी।
डोभाल ने 15 सितंबर को एनआईए और ईडी के अफसरों के साथ बैठक की और उन्हें पूरी योजना की जानकारी दी। दोनों संस्थानों के टॉप और तेज तर्रार अफसरों की सूची बनी। सबको अलग-अलग राज्य और अलग-अलग शहरों की जानकारी दी गई। जहां, जरूरत थी, वहां के लिए एयरक्राफ्ट का इंतजाम कराया गया। ताकि, जरूरत पड़ने पर तुरंत संदिग्धों को गिरफ्तार कर दूसरे स्थान पर लाया जा सके। इसके लिए एयरफोर्स और एयरपोर्ट अथॉरिटी से भी बात हुई।
फिर आई एक्शन वाली रात यानी 21 सितंबर 2022। दिन में ही एनआईए और ईडी के अफसर छापेमारी के लिए तय जिलों में पहुंच चुके थे। सारी टीमें तैयार थीं। छापेमारी से एक घंटे पहले स्थानीय पुलिस को इसकी जानकारी दी गई और बैकअप फोर्स तैयार करवाई गई। इसके बाद रात एक बजे एनएसए अजीत डोभाल ने एकसाथ सभी जिलों में पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी का आदेश दिया। इसकी प्लानिंग इतनी मजबूत थी कि कहीं भी किसी को गोली चलाने तक का मौका नहीं मिला। रात में जब ये छापेमारी हुई तब ज्यादातर पीएफआई सदस्य सो रहे थे।
एनआईए ने 15 राज्यों में 150 से ज्यादा पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी की। अधिकारियों के अनुसार पीएफआई के खिलाफ ये अब तक का सबसे बड़ा अभियान है। छापेमारी के दौरान केरल में पीएफआई के सबसे अधिक 22 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। इसमें पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमए सलाम भी शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि सबसे अधिक गिरफ्तारी केरल के बाद महाराष्ट्र से 20, कर्नाटक से 20, तमिलनाडु से 10, असम से नौ, उत्तर प्रदेश से आठ, आंध्र प्रदेश से पांच, मध्य प्रदेश से चार, पुडुचेरी से तीन, दिल्ली से तीन और राजस्थान से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया। पूरे देश में गिरफ्तारियों का आंकड़ा देखें तो ये 106 पहुंच जाता है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को भी एक बैठक की। माना जाता है कि बैठक में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े परिसरों में की गई छापेमारी और आतंकवाद के संदिग्धों के खिलाफ कार्रवाई पर चर्चा हुई। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, राष्ट्रीय जांच अभिकरण एजेंसी के महानिदेशक दिनकर गुप्ता समेत शीर्ष अधिकारी इस उच्च स्तरीय बैठक में शामिल हुए। एक अधिकारी के मुताबिक, समझा जाता है कि शाह ने आतंकवाद के संदिग्धों और पीएफआई के कार्यकर्ताओं के खिलाफ देशभर में की गई कार्रवाई का जायजा लिया।