दिल्ली। देश के के 15वें राष्ट्रपति के लिए 18 जुलाई को वोटिंग हो रही है। मतदान शाम पांच बजे तक चलेगा। एनडीए की तरफ से द्रोपदी मुर्मू उम्मीदवार हैं तो वहीं विपक्ष ने पूर्वमंत्री यशवंत सिंहा पर दांव लगाया है। चुनाव के बीच हम भारत की होने वाली अगली राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्म के एक किस्से रूबरू कराने जा रहे हैं। मुर्मू आदिवासी समाज से आती हैं और उनकी शादी 1980 में श्याम शरण मुर्मू से हुई थी। दोनों के बीच प्यार हुआ। इसकी जानकारी द्रोपदी के पिता को हुई तो उन्होंने बेटी का हाथ श्याम को देने से इंकार कर दिया। ऐसे में श्याम परिवार समेत द्रोपदी के गांव में डेरा डाल लिया था।
आदिवासी समाज से आती हैं द्रोपदी
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गांव में हुआ था। वो आदिवासी संथाल परिवार से आती हैं। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था। द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई है। उनके तीन बच्चे (दो बेटे और एक बेटी) हुए, जिनमें से अब सिर्फ एक बेटी ही बची है। द्रोपद्री मुर्मू की पूरा जीवन कठिनाईयों में गुजरा। श्याम शरण से प्यार के बाद बड़ी मुश्किल में उनकी शादी हुई। तीन बच्चे हुए। जिसमें दो बेटों का निधन हो गया। कुछ साल के बाद पति की भी मौत हो गई।
कॉलेज में हुई श्याम से मुलाकात
द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के रामादेवी वुमन कॉलेज से आर्ट्स में ग्रैजुएशन किया है। इसी दौरान उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई थी। दरअसल, श्याम चरण भी भुवनेश्वर के एक कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे। धीरे-धीरे दोनों की जान-पहचान प्यार में बदल गई। प्यार परवान चढ़ा तो बात शादी तक पहुंच गई। श्याम के परिवारवाले दोनों की शादी को तैयार थे। श्याम भी हरहाल में द्रोपदी के साथ सात फेरे लेने का प्रण कर चुके थे।
द्रोपदी के पिता ने शादी से किया इंकार
श्याम चरण मुर्मू द्रौपदी से शादी करना चाहते थे। यही वजह थी कि 1980 में वो एक दिन शादी का प्रस्ताव लेकर द्रौपदी के घर पहुंच गए। हालांकि, शुरुआत में द्रौपदी के पिता बिंची नारायण टुडू श्याम से अपनी बेटी की शादी करने को तैयार नहीं थे। लेकिन श्याम भी कहां मानने वाले थे। वो अपने रिश्तेदारों के साथ ही द्रौपदी के गांव उपरबेड़ा में डेरा डाल कर बैठ गए।
द्रौपदी पहाड़पुर गांव की बहू बन गईं
श्याम चरण जब उपरबेड़ा गांव में शादी की बात को लेकर डेरा डाल बैठ गए तो श्याम के दिल में अपने लिए इतना प्रेम देखकर द्रौपदी ने भी फैसला कर लिया कि अब शादी तो उन्हीं से करूंगी। कई दिनों तक अड़े रहने के बाद आखिरकार द्रौपदी के पिता और घरवाले भी शादी को राजी हो गए। इसके बाद एक बैल, एक गाय और कुछ जोड़ी कपड़ों में दोनों की शादी तय हो गई। इसके बाद द्रौपदी पहाड़पुर गांव की बहू बन गईं।
दो बेटों की मौत हो गई
बता दें कि द्रौपदी और श्याम के 3 बच्चे (दो बेटे और एक बेटी) हुए, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूद था। उनके दो बेटों की मौत हो गई। 2010 में उनके पहले बेटे और तीन साल बाद यानी 2013 में दूसरे बेटे की मौत हो गई। इसके बाद अगले ही साल 2014 में उनके पति भी इस दुनिया को अलविदा कह गए। दो जवान बेटों और पति की मौत से आहत द्रौपदी ने अपने पहाड़पुर वाले घर को स्कूल में बदल दिया। अब यहां बच्चे पढ़ाई करते हैं। द्रौपदी यहां अपने बच्चों और पति की पुण्यतिथि पर आती हैं।