नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि, परिवारवाद-भतीजाबाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी नीति बिलकुल स्पष्ट है। जिन्होंने देश को लूटा है, उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा। लुटे धन को हर हाल में वापस लाकर रहेंगे। पीएम के इस शंखनाद के बाद देश की सियासत गर्म है। आने वाले दिनों में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत कई राजनेताओं के अलावा ब्यूरोकेट्स और ‘धनकुबेरों’ पर एक्शन होता हुआ देखा जा सकता है।
बड़े पैमाने पर जारी है एक्शन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब दिल्ली की कुर्सी पर विराजमान हुए थे, तब उन्होंने कहा था कि, न खाऊंगा और न ही खाने दूंगा। जिसका असर पिछले आठ साल के दौरान देखने को मिला। केंद्र की एजेंसियों ने इस दौरान करीब 1 लाख करोड़ से ज्यादा की नकदी समेत बेनामी संपत्ति को कब्जे में लिया है। इसके साथ ही, उत्तर से लेकर दक्षिण तक, पूर्व से लेकर पश्चिम तक लगभग हर राज्य में विपक्षी दलों के नेताओं पर भ्रष्टाचार के अलग-अलग मामलों में जांच शुरू हो चुकी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी-सोनिया गांधी पर हेराल्ड केस में जांच जारी है। जम्मू-कश्मीर के नेता फारूख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ,पूर्व सीएम हरीश रावत, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मेत्री, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, लालू प्रसाद यादव, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन तक जांच पहुंच चुकी है।
बंगाल के मंत्री गिरफ्तार
ईडी की कार्रवाई का असर बंगाल में भी दिखा। ममता सरकार के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी पर ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी की कार्रवाई में अर्पिता के घर से अब तक 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी मिल चुकी है। और हालात ऐसे हो गए हैं कि ममता बनर्जी को अपने बेहद करीबी पार्थ चटर्जी को न केवल मंत्री पद से हटाना पड़ा है बल्कि वह पार्टी से भी निलंबित हो गए हैं। इसके अलावा ईडी के निशाने पर ममता बनर्जी के एक और नेता फंस गए हैं। वह भी फिलहाल सलाखों के पीछे हैं।
चिटफंड घोटाले की आंच पहुंची बंगाल
साल 2013 में शारदा समूह के चिटफंड घोटाले के खुलासे ने बंगाल की राजनीति में भूचाल ला दिया था। इस घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं के नाम सामने आ गए थे। उसके बाद रोजवैली समेत कई समूहों के घोटाले सामने आए। राज्य सरकार की जांच टीम ने शारदा समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन और उनकी सहोगी देवयानी को गिरफ्तार किया था। ईडी और सीबीआई पिछले 8 साल से इस केस की जांच कर रही हैं। इसी केस में ममता सरकार में तत्कालीन मंत्री मदन मित्र को गिरफ्तारी कर लिया गया था। तृणमूल कांग्रेस के कई नेता रडार पर हैं।
सोनिया-राहुल से पूछताछ
नेशनल हेराल्ड केस में ईडी की पूछताछ गांधी परिवार तक पहुंच चुकी है। ईडी के अधिकारी, राहुल गांधी और सोनिया गांधी से कई घंटे तक की पूछताछ कर चुकी है। मामला ’यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की नई कंपनी और एजेएल को हुई डील का है। यंग इंडिया में सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया था। नई कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास 76 प्रतिशत शेयर थे जबकि बाकी के 24 प्रतिशत शेयर अन्य निदेशकों के पास थे। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने इस कंपनी को 90 करोड़ रुपए बतौर कर्ज दिया। और बाद में यंग इंडिया ने ’एजेएल’ का अधिग्रहण कर लिया। जिसको लेकर मनीलांड्रिंग का केस चल रहा है।
पी.चिदंबरम पर भी कार्रवाई
इसी तरह आईएनएक्स मीडिया केस में ईडी ने साल 2017 में पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम के बेटे कार्ती चिदंबरम के खिलाफ केस दायर किया था। जांच एजेंसियों का दावा है कि सन 2007 में जब चिदंबरम वित्त मंत्री थे तब उन्होंने पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी की कंपनी आईएनएक्स मीडिया को मंज़ूरी दिलाई। इसके बाद कंपनी में कथित रूप से 305 करोड़ का विदेशी निवेश आया। मात्र 5 करोड़ के निवेश की अनुमति मिली थी लेकिन आईएनएक्स मीडिया में 300 करोड़ से अधिक का निवेश हुआ। आरोप है कि इस डील में चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने रिश्वत ली थी।
फारूक अब्दुल्ला पर एक्शन
नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पर भी ईडी ने पूरक आरोप पत्र दायर कर दिया है। मामला जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन में हुए घोटाले का है। इस मामले में फारुक अब्दुल्ला और दूसरे आरोपियों से कई बार पूछताछ हो चुकी है। मामला 2002 से लेकर 2012 के बीच का है। जिस वक्त घोटाला हुआ, उस वक्त फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री थे। इस दौरान केन्द्र सरकार ने जम्मू -कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के जरिए राज्य में खेल को बढ़ावा देने के लिए113 करोड़ रुपये का फंड मुहैया कराया गया था। लेकिन आरोप है कि उस फंड में बड़ी राशि का कहीं और इस्तेमाल किया गया।
मंत्री सत्येंद्र जैन पर गिरी गाज
जुलाई में ईडी ने आप नेता और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। ईडी का मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सीबीआई द्वारा 2017 की एफआईआर पर आधारित है। सीबीआई की शिकायत में कहा गया है कि जैन चार कंपनियों को मिले फंड के स्रोत के बारे में नहीं बता सके, जिसमें वह एक शेयरधारक थे। इस साल अप्रैल में, ईडी ने सत्येंद्र जैन और उनके रिश्तेदारों से कथित रूप से जुड़ी कंपनियों की अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया था।
नवाब मलिक भी सलाखों के पीछे
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ ईडी ने 5 हजार पेज की चार्जशीट दायर कर रखी है। यह मामला डॉन दाऊद इब्राहिम के परिवार से जमीन खरीदने से जुड़ा है। प्रवर्तन निदेशालय ने विशेष पीएमएलए अदालत में आरोप पत्र पेश किया। मलिक को 23 फरवरी को ईडी ने गिरफ्तार किया था, फिलहाल वे मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद हैं। मलिक पर दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों हसीना पारकर, सलीम पटेल और सरदार खान के साथ मिलकर मुंबई के कुर्ला में संपत्ति को हड़पने के लिए एक आपराधिक साजिश रचने का आरोप है। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में मलिक के खिलाफ भी जांच हो रही है।
संजय राउत गिरफ्तार
मुंबईः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुंबई के एक ‘चॉल’ के पुनर्विकास में कथित अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन के एक मामले में शिवसेना सांसद संजय राउत को गिरफ्तार कर लिया था। अधिकारियों ने बताया कि राउत को दक्षिण मुंबई के बलार्ड एस्टेट में ईडी के मंडल कार्यालय में छह घंटे से अधिक समय तक चली पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया। उन्होंने दावा किया था कि राउत को धन शोधन रोकथाम कानून के तहत रविवार गिरफ्तार किया गया। फिलहाल राउत जेल में हैं और आईडी शिवसेना की पूरी कुंडली खंगाल रही है। राउत के घर से करीब साढ़े बारह लाख की नकदी भी बरामद हुई थी।
कई नौकरशाहों पर भी एक्शन
भ्रष्टाचार के मामले में सरकार केवल विपक्षी दलों पर ही कठोर नहीं है। उसने केंद्र सरकार में उच्च पदों पर बैठे हुए वरिष्ठ नौकरशाहों पर भी नकेल कसी है। अब तक सैकड़ों की संख्या में नौकरशाहों को जबरन रिटायर कर दिया गया है या उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का विकल्प देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इससे भी जनता के बीच केंद्र की छवि भ्रष्टाचार पर कठोर कार्रवाई करने वाली सरकार की बनी है। माना जा रहा है कि विपक्षी दलों के नेताओं और सरकार के वरिष्ठ नौकरशाहों पर भ्रष्टाचार के मामले में कठोर कार्रवाई इसी बात का संकेत दे रही है कि सरकार 2024 के आम चुनाव में इसे अपना प्रमुख हथियार बना सकती है।