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39,858,975,000 रुपये की संपत्ति छोड़ गईं ब्रिटेन की महारानी, जानिए किसे मिलेगी एलिजाबेथ के ‘तिजोरी’ की चाबी, बड़ी रोमांचक है क्वीन और प्रिंस की LOVE STORY 1939 वाली

नई दिल्ली। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की गुरुवार को स्काॅटलैंड के बाल्मोरल कैसल में निधन हो गया था। एलिजाबेथ द्वितीय 96 वर्ष की थीं और कई माह से बीमार चल रही थीं। 1952 में एलिजाबेथ द्वितीय के पिता की जॉर्ज षष्टम की मौत हो गई थी। महज 25 वर्ष की उम्र में एलिजाबेथ ब्रिटेन की महारानी बनी। मौजूदा समय में 15 संप्रभु राष्ट्रों की महारानी रहीं एलिजाबेथ द्वितीय अपने पीछे अरबों की संपत्ति छोड़ गई हैं। करीब 500 मिलियन डॉलर (39,858,975,000 रुपये) की संपत्ति छोड़ गई हैं। ये संपत्ति प्रिंस चार्ल्स को किंग बनने पर विरासत में मिलेगी। महारानी दुनिया की इकलौती महिला थीं, जिन्हें विदेशी दौरे के लिए पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं पड़ती थी।

21 अप्रैल 1926 को हुआ था जन्म
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का जन्म 21 अप्रैल 1926 को हुआ था। महारानी के जन्म के समय उनके दादा जार्ज पंचम ब्रिटेन पर शासन कर रहे थे। उनके पिता यानी जार्ज छठे का भी ब्रिटेन पर शासन रहा है, जो जार्ज पंचम के दूसरे बेटे थे। महारानी की मां का नाम भी एलिजाबेथ था जो यार्क की डचेज थी, जब उनकी मां महारानी बनी थीं तो वह एलिजाबेथ के नाम से जानी गई, और जब वह खुद महारानी बनी थीं तो उनका नाम महारानी एलिजाबेथ द्वितीय पड़ा।

20 नवबंर 1947 को प्रिंस से की थी शादी
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की शादी 20 नवंबर 1947 को प्रिंस फिलिप से हुई थी। प्रिंस फिलिप महारानी के दूर के रिश्तेदार थे और उनको एलिजाबेथ द्वितीय से 13 साल की उम्र में ही प्यार हो गया था। जब दोनों की शादी हो रही थी उस समय बकिंघम पैलेस के बाहर दोनों की एक झलक पाने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई थी। इस प्रेमी जोड़े से पहला बच्चा 1948 में पैदा हुआ जिसका नाम प्रिंस चार्ल्स पड़ा, जबकि साल 1950 में इन दोनों से एक बच्ची का भी जन्म हुआ, जिसका नाम राजकुमारी ऐनी रखा गया।

शाही परिवार को टैक्सपेयर्स की तरफ से मिलती है मोटी रकम
ब्रिटेन के शाही परिवार को टैक्सपेयर्स की तरफ से मोटी रकम प्राप्त होती थी, जिसे सॉवरेन ग्रांट के रूप में जाना जाता है। इसे वार्षिक आधार शाही परिवार को दिया जाता है। दरअसल, इस ग्रांट की शुरुआत किंग जॉर्ज तृतीय के समय में हुई थी। उन्होंने संसद में एक एग्रिमेंट पास किया था। इस तरह उन्होंने अपनी खुदके और भविष्य की पीढ़ियों के लिए फंड हासिल करने का रास्ता तैयार किया था। इस एग्रिमेंट को मूलरूप से सिविल लिस्ट के नाम से जाना जाता था, जिसे 2012 में सोवरेन ग्रांट से रिप्लेस कर दिया गया था। साल 2021 और 2022 में सॉवरेन ग्रांट की राशि 86 मिलियन पाउंड से अधिक तय की गई थी। ये धनराशि आधिकारिक यात्रा, संपत्ति के रखरखाव और रानी के घर-बकिंघम पैलेस के रखरखाव की लागत के लिए आवंटित की जाती है।

संपत्ति को बेचा नहीं जा सकता
फोर्ब्स के अनुसार, राजशाही परिवार के पास 2021 तक लगभग 28 बिलियन डॉलर की अचल संपत्ति थी, जिसे बेचा नहीं जा सकता। द क्राउन एस्टेट, 19.5 बिलियन डॉलरबकिंघम पैलेस, 4.9 बिलियन डॉलर, डची ऑफ कॉर्नवाल, 1.3 बिलियन डॉलरद डची ऑफ लैंकेस्टर, 748 मिलियन डॉलर, केंसिंग्टन पैलेस, 630 मिलियन डॉलरस्कॉटलैंड का क्राउन एस्टेट, 592 मिलियन डॉलर के हैं। बिजनेस इनसाइडर के अनुसार, महारानी ने अपने निवेश, कला संग्रह, ज्वैलरी और रियल एस्टेट होल्डिंग्स से व्यक्तिगत संपत्ति में के रूप में 500 मिलियन डॉलर से अधिक की रकम जमा किए थे। इसमें सैंड्रिंघम हाउस और बाल्मोरल कैसल शामिल हैं।

चार्ल्स बनाए गए ब्रिटेन के राजा
एलिजाबेथ द्वितीय के जाने के बाद उनके बड़े बेटे चार्ल्स ब्रिटेन के राजा बन गए हैं। 73 साल के चार्ल्स ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड 15 देशों के भी प्रमुख बन गए हैं। शाही परिवार के नियमों के मुताबिक चार्ल्स को ही एलिजाबेथ द्वितीय के जाने के बाद बागडोर संभालनी थी। नियमों के मुताबिक, एलिजाबेथ के निधन के तुरंत बाद ही चार्ल्स को नया राजा घोषित कर दिया गया है। लंदन के जेम्स पैलेस में वरिष्ठ सांसदों, सिविल सर्वेंट्स, मेयर के बीच औपचारिक तौर पर चार्ल्स को राजा बना दिया जाएगा।

लेकिन दोनों के बीच एक बड़ा अंतर
ब्रिटिश रानी एलिजाबेथ द्वितीय एक संवैधानिक रानी थीं। वे यूनाइटेड किंगडम की हेड ऑफ स्टेट यानी राज्य प्रमुख थीं। अब उनकी जगह लेने वाले चार्ल्स भी इसी तरह प्रतीकात्मक राजा होंगे। ठीक भारत के राष्ट्रपति की तरह, लेकिन दोनों के बीच एक बड़ा अंतर है। भारत के राष्ट्रपति को देश के लोगों के चुने प्रतिनिधि यानी सांसद और विधायक चुनते हैं। वहीं, राजशाही होने की वजह से ब्रिटेन के राजा या रानी शाही वंश से ही बनते हैं। आमतौर पर राजा या रानी की सबसे बड़ी संतान ही उनके बाद शाही गद्दी पर बैठती है। यही वजह है कि लोकतांत्रिक देश होने के बावजूद भारत एक गणतंत्र है और ब्रिटेन एक राजशाही।

 

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