नई दिल्ली। सीबीआई की दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के आवास सहित आबकारी नीति मामले में दिल्ली-एनसीआर में 21 स्थानों पर कार्रवाई चल रही है। सिसोदिया के अलावा तत्कालीन आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्ण के घर पर भी सीबीआई की टीम ने छापा मारा है। मनीष सिसोदिया ने कहा कि ये लोग दिल्ली की शिक्षा और स्वास्थ्य के शानदार काम से परेशान हैं। इसीलिए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और शिक्षा मंत्री को पकड़ा है। ताकि शिक्षा स्वास्थ्य के अच्छे काम रोके जा सकें। सिसोदिया ने कहा कि हम दोनों के ऊपर झूठे आरोप हैं। कोर्ट में सच सामने आ जाएगा।
क्या बोले, सिसोदिया
छापेमारी की इस कार्रवाई पर सिसोदिया ने लिखा- सीबीआई आई है। उनका स्वागत है। हम कट्टर ईमानदार हैं। लाखों बच्चों का भविष्य बना रहे हैं। बहुत ही दुर्भाग्य कि हमारे देश में जो अच्छा काम करता है, उसे इसी तरह परेशान किया जाता है। इसीलिए हमारा देश नंबर वन नहीं बन पाया है। हम सीबीआई का स्वागत करते हैं। जांच में पूरा सहयोग करेंगे ताकि सच जल्द सामने आ सके। अभी तक मुझ पर कई केस किए, लेकिन कुछ निकला नहीं। इसमें भी कुछ नहीं निकलेगा। देश में अच्छी शिक्षा के लिए मेरा काम रोका नहीं जा सकता।
सिसोदिया पर लाइसेंसधारियों को फायदा पहुंचाने का आरोप
आपको बता दें कि दिल्ली में शराब की दुकानों में बड़ा भ्रष्टाचार होने की खबर के बाद ये रेड डाली गई है। मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट में कहा गया था कि नई नीति के जरिए शराब लाइसेंसधारियों को फायदा पहुंचाया गया। रिपोर्ट में सीधे मनीष सिसोदिया का नाम लिया गया था।
पहले भी हुई रेड
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में दिल्ली के शिक्षा मॉडल की तारीफ करते हुए बीजेपी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट किया- जिस दिन अमेरिका के सबसे बड़े अखबार के फ्रंट पेज पर दिल्ली शिक्षा मॉडल की तारीफ और मनीष सिसोदिया की तस्वीर छपी, उसी दिन मनीष के घर केंद्र ने सीबीआई भेजी। सीबीआई का स्वागत है। पूरा सहयोग करेंगे। पहले भी कई जांच और रेड हुईं। कुछ नहीं निकला। अब भी कुछ नहीं निकलेगा।
क्या है शराब नीति का पूरा मामला
2020 में दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति लाने की बात कही थी। मई 2020 में दिल्ली सरकार विधानसभा में नई शराब नीति लेकर आई, जिसे नवंबर 2021 से लागू कर दिया गया। मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट में कहा गया कि शराब नीति को लागू करने से पहले प्रस्तावित नीति को कैबिनेट के समक्ष रखना होता है। इसके बाद कैबिनेट से पास इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए उपराज्यपाल को भेजना होता है। लेकिन, इस प्रोसेस को नहीं अपनाया गया है। रिपोर्ट में 4 नियमों को तोड़ने के आरोप लगे।