जमीन विवाद की सबसे बड़ी अदालत राजस्व मंडल को लेकर राजस्थान सरकार अब गंभीर हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्व मंडल अध्यक्ष से राजस्व अदालतों में लम्बित लाखों मुकदमों के त्वरित निस्तारण के लिए चर्चा करते हुए राजस्व मंडल अध्यक्ष के प्रस्ताव को सैद्धांतिक सहमति दे दी है। साथ ही इस पर कार्रवाई के लिए प्रस्ताव को वित्त विभाग के पास भेजा है। यहां बता दें कि पांच महीने पहले सीएम के निर्देश पर राजस्व मंडल के अध्यक्ष ने मंडल में लम्बित करीब 65 हजार मुकदमों और अधीनस्थ राजस्व अदालतों में लम्बित करीब 5 लाख मुकदमों के त्वरित निस्तारण के लिए एक्शन प्लान मांगा था। मगर, इसे बजट और अनुपूरक बजट में शामिल नहीं किया गया था। इसके लिए कोई अतिरिक्त बजट भी नहीं दिया गया था।
आपको बता दें कि राजस्व मंडल में स्वीकृत 20 सदस्यों पर केवल 11 सदस्य ही काम कर रहे हैं। जबकि सदस्यों के 9 पद खाली चल रहे हैं। इनमें आरएएस कोटे के 7 और आईएएस कोटे के 2 पद हैं। इससे मुकदमों की सुनवाई में दिक्कत हो रही है। साथ ही जिलो में लगने वाली सर्किट बेंचों पर भी इसका असर पड़ रहा है। सरकार जल्द ही आरएएस कोटे के चार सदस्यों को नियुक्ति देगी इसके लिए प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। सदस्यों के लिए सरकार ने आरएएस अधिकारियों से आवेदन मांगे थे। इनमें से चार नामों पर सहमति बन चुकी है।
एक्शन प्लान बनाने के लिए इसी साल जनवरी में सरकार के निर्देश पर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, पंजाब और उत्तराखंड के रेवन्यू बोर्डों की कार्य प्रणाली का अध्य्यन किया गया था। जिसके बाद राजस्व मंडल ने एक्शन प्लान तैयार कर सरकार को भेजा था।
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