कोटा। सोचिये आप हिंदू परिवार से ताल्लुक रखते हैं। आप अपने छोटे बच्चे का एडमिशन शहर के अच्छे इंग्लिश मीडियम स्कूल में करा कर आए हैं। स्कूल से वापस आकर आपको बच्चा मम्मी-पापा की जगह अम्मी और अब्बू बोलने लग जाए, खाने में आपसे दाल रोटी की जगह बिरयानी और नॉनवेज की मांग करे तो आपका क्या रिएक्शन होगा? हम आपको कोई काल्पनिक कथा नहीं सुना रहे हैं बल्कि राजस्थान के कोटा शहर के एक बड़े इंग्लिश मीडियम स्कूल की हकीकत बता रहे हैं। जो उर्दू स्कूल नहीं है और इसमें ज्यादातर बच्चे हिंदू धर्म के हैं। यहां एक पुस्तक कक्षा दो में पढ़ाई जा रही है, जो हैदराबाद के पब्लिकेशन की है। मामला सामने आने पर स्कूल संचालक ने सफाई दी है कि उन्होंने यह पुस्तक पाठ्यक्रम से हटा ली है, किन्तु कोटा सहित देश भर के कई स्कूलों में यह पुस्तक पढ़ाई जा रही है।
क्या है पूरा मामला
कोटा शहर स्थित शिव ज्योति कॉन्वेंट स्कूल है। जिसमें ज्यादातर हिंदू समुदाय के बच्चे पढ़ते हैं। यहीं कक्षा 2 में पढाई जाने वाली इंग्लिश की किताब है गुलमोहर। जिसका प्रकाशन हैदराबाद हो रहा है। 352 रुपये कीमत की पतली सी किताब का प्रकाशक हैदराबाद का है। इस बुक का पहला चैप्टर है ’टू बिग टू स्माल’ इसमें बच्चों को मदर की जगह अम्मी और फादर की जगह अब्बू पढाया जा रहा है। इसी बुक का दूसरा चैप्टर है दादाजी फारुख का बगीचा, जिसमें पोते का नाम आमिर बताया गया है, सिर्फ इतना ही नहीं पेज नंबर 20 पर चैप्टर 6 में बताया. गया है कि अम्मी किचन मे हैं और बिरयानी बना रही हैं। आप खाने के लिए बिरयानी की डिमांड करें।
शिक्षा विभाग के उप सचिव ये की शिकायत
स्कूल में गैर मुस्लिम बच्चों को अम्मी और अब्बू बोलना सिखाए जाने पर बजरंग दल के सह प्रांत संयोजक योगेश रेनवाल ने शिक्षा विभाग के उप सचिव रमेश बंसल को इसकी शिकायत की है। जिसमें उन्होंने बताया कि बच्चों के परिजनों ने इस तरह का पाठ पढ़ाए जाने को लेकर नाराजगी जताते हुए स्कूल प्रबंधन को शिकायत की थी। जिसमें बताया कि छोटे बच्चों को अंग्रेजी की पुस्तक में मदर की जगह अम्मी तथा फादर की जगह अब्बू बोलना सिखाया गया।
’ग्रैंडपा फारूक गार्डन
रेनवाल ने बताया कि उन्होंने खुद यह पुस्तक खरीदी, तब पता चला कि अभिभावकों की शिकायत सही है। उनका कहना है कि अभिभावक कक्षा दो में पढ़ाई जा रही पुस्तक के दूसरे चैप्टर में भी ’ग्रैंडपा फारूक गार्डन (दादाजी फारूक का बगीचा)’ शीर्षक से है। इसमें मुस्लिम चरित्र आमिर व उसके दादा फारूक को दर्शाया गया है। इसी तरह छठे चैप्टर में पेज नंबर 20 पर बताया गया है कि पेरेंट्स किचन में हैं। वह बिरयानी बना रहे हैं।
नानवेज खिलाने के लिए किया जा रहा प्रेरित
रेनवाल का कहना है कि इससे बच्चों को इस्लामी भोजन नानवेज खिलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। परिजनों ने उन्हें शिकायत में बताया कि बच्चे अब घर में माता-पिता को अम्मी-अब्बू कहने लग गए हैं और बिरयानी बनाने पर जोर देने लगे हैं। रेनवाल का कहना है कि एक अंग्रेजी मीडियम स्कूल यानी कान्वेंट स्कूल में शिक्षा के इस्लामीकरण के लिए ऐसी किताबें चलाई जा रही हैं, जिससे हिंदू समाज की भावनाएं आहत हुई हैं। ऐसी किताबों पर प्रतिबंध लगना चाहिए।
शिकायत मिलगी तो होगी कार्रवाई
कोटा के मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी हजारी लाल शिवहरे का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि किस स्कूल में इस तरह की पुस्तक पढ़ाई जा रही है और ना ही इस संबंध में किसी अभिभावक की शिकायत उन्हें नहीं मिली है। शिकायत मिली तो कमेटी से जांच कराकर सीबीएसई को रिपोर्ट भेजी जाएगी। इधर, कान्वेंट स्कूल के संचालक का कहना है कि पुस्तक के कंटेंट पर आपत्ति के बाद उसे सिलेबस से हटा दिया गया है। हालांकि यह पुस्तक उनके स्कूल में ही नहीं, बल्कि देश के कई स्कूलों में पढ़ाई जा रही है।