सीकर। रक्षा बंधन का पर्व भाई और बहन के अद्भुत प्रेम का प्रतीक माना जाता है। बहन अपने भैया की जिंदगी बचाने को लेकर एक दीवार की तरह खड़ी रहती हैं तो वहीं राखी की डोर बंधवाने के बाद भाई भी उनकी रक्षा का संकल्प लेते हैं। इस पावन पर्व पर हम आपको उन तीन बहनों से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिन्होंने रक्षा के गिफ्ट के तौर पर भाईयों को अपनी किडनी दान कर उनकी जान बचा ली। खास बात ये है कि तीनों बहनों ने शादी के बाद ये कदम उठाया और तीन महिलाओं के साथ उनके पतियों और ससुराल वालों ने दिया।
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद ही बचेगी भाई की जान
रक्षा बंधन का पर्व पूरे देश में धूम-धाम के साथ मनाया जा रहा है। तय मुहुर्त पर बहनें अपने भाईयों की कलाई पर रक्षा का डोर बांधकर अपनी रक्षा का उनसे संकल्प लेंगी। पर कुछ ऐसी भी बहनें हैं, जो अपनी जान को दांव में लगाकर भाईयों की जिंदगी बचा रही हैं। इन्हीं में से झुंझुनूं की खेतड़ी निवासी 49 वर्षीय गुड्डी देवी हैं। जिन्होंने पिछले साल ही रक्षाबंधन पर भाई को किडनी देकर जीवन दान की सौगात दी। गुड्डी देवी ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि, भाई सुंदरसिंह की दोनों किडनी खराब हो गई थी। तबीयत बिगडने पर उसे दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। आराम नहीं मिलने पर डॉक्टर्स ने किडनी ट्रांसप्लांट की बात कही।
गुड्डी देवी ने भाई को दी किडनी
बीमार सुंदर सिंह के माता-पिता की किडनी देने योग्य नहीं थे। संकट में घिरे परिवार के सामने बहन गुड्डी ने किडनी के पेशकश की। जो सारी औपचारिकता पूरी करने के बाद राखी से चार दिन पहले 19 अगस्त को गुड्डी ने भाई का डोनेट कर दी। भाई बहनों ने रक्षाबंधन का त्योहार भी अस्पताल में मनाया। किडनी ट्रांसप्लांट होने के बाद भाई को नया जीवन मिल गया। गुड्डी देवी बताती हैं कि, जब हमने किडनी देने का फैसला लिया तो पति के अलावा ससुरालवालों ने भी हमारा साथ दिया। अब हमारा भैया पूरी तरह से ठीक है और राखी के पर्व पर वह घर आकर रक्षा की डोर बंधवाएगा।
सुनीता कंवर के गिफ्ट से बची भाई की जान
ऐसी ही एक और बहन हैं, जिसने अपने भाई को किडनी देकर उसकी जान बचा ली। सीकर के नाथूसर निवासी महाल सिंह के बेटे विश्वदीप सिंह की दो साल पहले दोनों किडनी खराब हो गई थी। कई अस्पतालों में इलाज व डायलिसिस के बाद भी रोग में फायदा नहीं हुआ। डॉक्टर्स ने किडनी ट्रांसप्लांट करने की बात कही। जिसकी जानकारी 46 वर्षीय बहन सुनीता कंवर को हुई तो वह भाई को जीवनदान देने के लिए तुरंत तैयार हो गई। नागौर निवासी अपने ससुराल वालों को सहमत कर उसने बेझिझक अपनी एक किडनी भाई विश्वदीप को दे दी। अब दोनों भाई बहन स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। रक्षा बंधन पर्व पर बहन खुद अपने भाई के घर जाकर राखी बांधेगी।
सुमन की किडनी से जिंदा है भाई
झुंझुनूं के पिलानी में बिशनपुरा सेक्टर का निवासी 32 वर्षीय शिव कुमार भी लंबे समय से पेट के दर्द से पीड़ित था। जब आसपास के डॉक्टर्स के इलाज से फायदा नहीं हुआ तो उसने बीकानेर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स को दिखाया। जहां जांच में उसकी दोनों किडनी खराब पाई गई। डॉक्टर्स ने जल्द किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी। ऐसे में बड़ी बहन सुमन ने हिम्मत दिखाई और अपने ससुराल वालों को तैयार कर अपनी किडनी इसी साल मार्च महीने में भाई को दान कर उसकी जिंदगी बचा ली। दो बच्चों की मां होने पर भी भाई के लिए अपनी जान जोखिम में डालने वाली इस बहन के इस जज्बे को हर किसी ने सराहा। बच्चों की मां हैं। शिव के माता-पिता भी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।