इंदौर। बेहतर पुलिसिंग के लिए इस पुलिस जवान को न जाने कितने सम्मान मिल चुके हैं। जिस थाने में ये पुलिस जवान होता है, वहां मनचले भी कभी लड़कियों से कोई पंगा लेने की सोचते। क्योंकि उस लड़की का भाई कोई और नहीं बल्कि टीआई सतीश पटेल है। जी हां हम बात कर रहे हैं इंदौर के हीरानगर थाने में पदस्थ थाना प्रभारी सतीश पटेल की। एक वक्त था, सतीश पटेल की कलाई राखी पर सूनी थी और आज वो हजारों बहनों के भाई बन चुके हैं। उनके द्वारा पूर्व में चलाई गई टीआइ मेरा भाई… मुहिम को प्रदेश सहित देश के अन्य प्रदेशों में खासी सराहना मिली। हाल ही में उनका नाम दूसरी बार वर्ल्ड बुक आफ रिकार्ड्स में दर्ज किया गया है।
कौन है ये पुलिस जवान
खरगोन निवासी सतीश पटेल वर्ष 2007 से पुलिस सेवा में हैं। वे छिंदवाड़ा, शिवनी, नक्सलाइट झोन मंडला, जबलपुर आदि स्थानों के बाद अब इंदौर के हीरानगर थाने में पदस्थ हैं। सिर्फ उक्त मुहिम ही नहीं बल्कि सामुदायिक पुलिसिंग के लिए सतीश को सम्मान व सराहना मिली है। वर्तमान में युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए वे नशे को न न… मुहिम भी चला रहे हैं। अस्तित्व न्यूज से खास बातचीत पर टीआई सतीश पटेल ने बताया कि राखी पहले एक खास दिन माना जाता था, लेकिन मेरी जिंदगी में हर दिन राखी का त्योहार है। राखी के पर्व पर इस बार भी जिन-जिन थानों में मैं रहा, वहां के आस-पास क्षेत्रों से मेरे पास राखियां पोस्ट के जरिए पहुंच रही हैं। मेरे लिए हर दिन राखी का त्योहार है और हर वक्त बहनों की रक्षा मेरा संकल्प है।
7 साल पहले सूनी कलाई देखकर रो पड़े थे सतीश
सतीश पटेल ने 2015 में राखी के अवसर सिवनी के छपरा थाने में थे। सतीश बताते है कि उस समय राखी के दिन तक मेरी बहन की राखी मुझे नहीं मिल पाई थी। सबके हाथ पर राखी बंधी हुई थी पर मेरी कलाई सूनी पड़ी थी, ये देखकर मुझे बेहद रोना आ रहा था। अचानक मेरे दिमाग में एक ख्याल आया और अपने एक वाट्स एप्प ग्रुप पर मैंने ये स्लोगन लिखा – पुलिस आपकी मित्र है। टीआई आपका भाई है और इसके नीचे लिखा टीआई होने के नाते क्षेत्र की हर महिला की रक्षा करना मेरी जिम्मेदारी है। यदि क्षेत्र की कोई महिला या लड़की मुझे राखी बांधना चाहती है तो थाने में उनका भाई उनका स्वागत करेगा।
एक मैसेज ने कर दिया कमाल
सतीश का ये मैसेज देखते ही देखते वायरल हो गया। लोगों के लिए ये एक बिलकुल अनोखी बात थी। मैसेज के बाद पहले थाने की दो सब इंस्पेक्टर ने डरते -डरते मुझसे पूछा कि सर क्या हम आपको राखी बांध सकते है, बदले में मैंने अपना हाथ बढ़ा दिया। शाम तक करीब 70 महिलाएं, जिनमें कुछ स्कूल और कॉलेज की छात्राएं भी थी राखी, नारियल और मिठाई लेकर थाने आई और उन्होंने मुझे राखी बांधी। इसके बाद ये सिलसिला चल निकला राखी से जन्माष्टमी तक ना सिर्फ थाना क्षेत्र बल्कि दूर-दूर की महिलाओं और लड़कियों ने मुझे राखी बांधी। रोज शाम को मेरा हाथ राखियों से भर जाता था।