Nepal Janakpur: नेपाल के धार्मिक स्थल जनकपुर (Janakpur) से दो विशालकाय देवसिला (Devsila) बुधवार देररात अयोध्या (Ayodhya) पहुंच गईं। वैदिक रीतिरिवाज से पूजन के बाद देवसिलाओं को श्रीराम जन्मभूमि ट्रष्ट (Shri Ram Janmabhoomi Trust) को सौंप दी गईं हैं। शालीग्राम शिलाओं को भगवान विष्णु (Shaligram Lord Vishnu) का स्वरूप माना जाता है। इन्ही विशालकाय शिलाओं से भगवान श्रीराम और सीता जी की मूर्तियां तैयार की जाएंगी। शालीग्राम शिलाओं का राम नगरी अयोध्या में भव्य स्वागत किया गया। पुष्प की वर्षा की गई, इसके साथ जमकर आतिशबाजी (Fireworks) की गई थी।
गंडकी नदी से निकाल गई शिलाएं
नेपाल की पवित्र काली गंडकी नदी से ये पत्थर निकाले गए हैं। वहां अभिषेक और विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद शिला को 26 जनवरी को अयोध्या के लिए रवाना किया गया था। ये यात्रा बिहार के रास्ते यूपी में कुशीनगर और गोरखपुर होते हुए बुधवार को अयोध्या पहुंची।
नेपाल से आए दो सौ भक्त
नेपाल की शालिग्रामी नदी से निकाले गए दो बड़े पत्थरों को दो ट्रकों पर लादकर भारत लाया गया। शालिग्राम शिला यात्रा की अगुवाई राम जानकी मंदिर नेपाल के महंत राम पतेश्वर दास, नेपाल सरकार के पूर्व गृहमंत्री विमलेंद्र निधि सहित विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज व राम मंदिर के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल कर रहे थे। यात्रा के साथ नेपाल से करीब 200 भक्त भी अयोध्या पहुंचे हैं। शालिग्राम शिलाओं का रामसेवकपुरम में ही अयोध्या के संत पूजन कर उन्हें राम मंदिर के लिए भेंट करेंगे। इसके लिए अयोध्या के करीब सौ महंतों को आमंत्रित किया गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ भी आ सकते हैं।
शालिग्राम शिला में प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती
जानकी मंदिर से जुड़े महंत राम रोशन दास ने कहा कि शालिग्राम शिला को विष्णु का अवतार माना गया है। शालिग्राम शिला में प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जाती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूरा विश्व राम मंदिर का हार्दिक अभिनंदन कर रहा है राम मंदिर बन भी रहा है। यहां से हम लोगों को कहा गया था कि अगर वहां पर इस आकार और इस गुणवत्ता का पत्थर उपलब्ध हो तो हम राम की बाल स्वरूप प्रतिमा उसी से बनाएंगे।
ऑर्कियोलॉजिकल टेस्ट
शिला यात्रा के साथ आए जनकपुर के मेयर मनोज कुमार शाह ने कहा कि पहले नेपाल से राम लला के धनुष देने की बात कही गई थी। बाद में शालिग्राम शिला की बात आई। नेपाल सरकार द्वारा ऑर्कियोलॉजिकल टेस्ट कराने के बाद शिला जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास को सौंपी गई। उसके बाद हम यात्रा लेकर निकले हैं।
द्वापर-त्रेता का संबंध कलयुग में प्रगाढ़ हो रहा है
शालिग्राम शिला यात्रा से द्वापर-त्रेता का संबंध कलयुग में प्रगाढ़ हो रहा है। उन्होंने कहा कि नेपाल व भारत सरकार से हमारी मांग है कि जनकपुर अयोध्या के बीच एक रेल सेवा भी शुरू की जाए जिससे आवागमन आसान होगा और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।