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सनी देओल की फिल्म ’इंडियन’ को देख मनोज कुमार ने ली थी शपथ, तीन सरकारी नौकरी को छोड़ आखिरकार बने आईपीएस अफसर

लखनऊ। कहते हैं इंसान कुछ भी कर सकता है। अगर उसके अंदर जज्बा और जुनून है तो वह हर समस्या को अपने पैरों के नीचे कुचलत कर अपनी मंजिल तक पहुंच सकता है। कुछ ऐसा ही आईपीएस मनोज रावत ने कर दिखाया। बॉलीबुड की फिल्म इंडियन को देख उन्होंने सनी देओल के किरदार को अपने में उतार लिया और उन्हीं की तरह एक जांबाज अफसर बनने की शपथ ली। पिता की नौकरी जाने के बाद वह कुछ दिन तक पुलिस कांस्टबेल के पद पर तैनात रहे। इस दौरान उन्होंने सिविल सर्विज की जीतोड़ मेहनत की और वह वक्त आ गया, जब उनका चयन आईपीएस में बतौर अफसर के तौर पर हो गया।

कौन हैं आईपीएस मनोज रावत
आईपीएस मनोज रावत मूजरूप से राजस्थान के जयपुर जनपद के श्यामपुरा गांव के रहने वाले हैं। मनोज रावत के पिता एक प्राईवेट शिक्षक थे और होममेकर हैं। बचपन से पढ़ाई में अव्वल रहे मनोज कुमार के घर पर ऊपरवाले ने आर्थिक चोंट की। उनके पिता को 2008 में नौकरी से निकाल दिया गया। मनोज तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। पिता की नौकरी जाने के बाद घर की जिम्मेदारियां मनोज रावत के कंधों पर आ गई थी। मनोज रावत पढ़ाई के साथ-साथ छोटे-छोटे बच्चों को ट्वीशन भी पढ़ाते थे। लेकिन इतना पैसा नहीं मिलता था, जिससे कि वह अपने परिवार का ठीक से भरण-पोषण कर सकें।

19 साल की उम्र में कांस्टेबल पद के लिए हुआ चयन
घर का आर्थिक हालत खराब होने पर मनोज ने कांस्टेबल पद की नौकरी के लिए अप्लाई किया। पहले प्रयास में मनोज अफसल रहे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। दूसरे प्रयास में उन्हें यह नौकरी मिल गई। पर मनोज कांस्टेबल की नौकरी के बजाए सबसे बड़े पुलिस अफसर की वर्दी पहनने का सपना देखा हुआ था। 19 साल की उम्र में राजस्थान पुलिस में कॉन्स्टेबल की नौकरी के साथ वह पॉलिटिकल साइंस में एमए की पढ़ाई भी करते रहे। 2013 में कोर्ट में क्लर्क की नौकरी मिलने पर उन्होंने कॉन्स्टेबल के पद से इस्तीफा दे दिया था। कोर्ट में नौकरी के साथ भी मनोज ने अपनी पढ़ाई जारी रखी।

दो और नौकरी से किया रिजाइन
म्नोज नौकरी के साथ सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। तभी उन्हें सीआईएसएफ की नौकरी का अवसर मिला, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। वह अपने लक्ष्य को लेकर बहुत स्पष्ट थे। वह आईपीएस ऑफिसर बनना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने अन्य किसी भी सरकारी नौकरी में अपना दिमाग इन्वेस्ट नहीं किया। आईपीएस मनोज रावत ने 2014 और 2015 में प्रीलिम्स परीक्षा पास कर ली थी लेकिन मेन्स में चूक गए थे। साल 2017 में यूपीएससी परीक्षा पास कर उन्हें आईआरएस के पद पर सरकारी नौकरी हासिल हो गई थी। पर मनोज इस नौकरी से भी संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने अपनी सिविल की पढ़ाई आगे भी जारी रखी।

2019 में हुआ आईपीएस में चयन
मनोज अपने लक्ष्य को लेकर काफी स्पष्ट थे और इसलिए उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की अपनी तैयारी जारी रखी और आखिरकार साल 2019 में वह आईपीएस ऑफिसर बन गए। मनोज की गिनती एक तेज-तर्राक आईपीएस अफसर के तौर पर है। वह इमानदार पुलिस अफसर हैं। जिस तरह से इंडियन फिल्म में एक्टर सनी देओल ने एक आईपीएस अफसर को रोल निभाया था, वह पुलिस की नौकरी में हूबहू रियल लाइफ में नजर आते हैं। हर फरियादी को न्याय दिलाने के साथ भ्रष्टाचार पर आईपीएस मनोज रावत बहुत सख्त है। कहा जाता है, जहां-जहां मनोज रावत की तैनाती हुई, वहां-वहां अपराधी उनके नाम से थर-थर कांपने लगते थे।

फिल्म देखकर आईपीएस बनने का लिया संकल्प
मनोज ने बचपन में सनी देओल स्टारर बॉलीवुड फिल्म ’इंडियन’ देखी थी। तब से ही उन्होंने आईपीएस ऑफिसर बनने का फैसला ले लिया था। सिर्फ इसी वजह से वह कहीं और टिके ही नहीं, तीन सरकारी नौकरी छोड़कर आखिरकार उन्होंने आईपीएस ऑफिसर बनकर ही अपने सपनों को एक खास मंजिल दी। आईपीएस मनोज रावत ने अपनी जिंदगी से जुड़े कई किस्सों को मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचाया। उन्होंने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि, अगर कोई इंसान सपने देखता है तो उसे पूरा करने के लिए पसीना बहाना पड़ेगा। सपने देखने चाहिए, पर उससे पहले उन्हें पूरा करने का संकल्प भी लेना चाहिए।

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