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ज्ञानवापी में पूजा करने पर अड़े स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने रखा मौन, सोमवार को होगी याचिका पर सुनवाई

वाराणसी में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का अनशन रविवार को दूसरे दिन भी जारी है। वो ज्ञानवापी परिसर में पूजा की मांग को लेकर शनिवार से श्रीविद्या मठ में अनशन पर बैठे हुए हैं। उन्होंने आज सुबह भी अन्न और जल नहीं ग्रहण किया। उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिली पत्थर की संरचना (जिसके शिवलिंग होने का दावा उनके द्वारा किया जा रहा है) की तस्वीर की पूजा की। इसके बाद उन्होंने मौन धारण कर लिया।

 

फिलहाल श्रीविद्या मठ और उसके आसपास का इलाका छावनी में तब्दील कर दिया गया है। वाराणसी कमिश्नरेट के अफसरों ने पुलिस और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट को विशेष सतर्कता बरतने की चेतावनी दी है। वहीं, अनशन पर बैठे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के समर्थन में आज शाम 4 बजे श्रीविद्या मठ में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिसमें 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा।

 

कानपुर हिंसा की आग अब धीरे-धीरे ठंडी पड़ती जा रही है। लेकिन इस हिंसा के पीछे कई सवाल छूटते जा रहे हैं। मसलन हिंसा के पीछे कौन है और उसका इस हिंसा से क्या कनेक्शन है। इसको लेकर जांच शुरू भी हो गई है। लेकिन न सबसे बड़ा सवाल ये है कि देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का दौरा जिस शहर में हो उसी दिन वहां अचानक हिंसा कैसे भड़क उठती है। क्या ये सुनियोजित था? ये सवाल इसलिए भी क्योंकि इस तरह की हिंसा अपने आप नहीं हो सकती। इसके पीछे जरूर किसी का हाथ है। हिंसा को लेकर ये भी कहा जा रहा है कि बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय नाराज था और इसके विरोध में दुकानें बंद कराने की कोशिश की गईं जिसके बाद बवाल बढ़ा। हालांकि हिंसा के सीसीटीवी फुटेज में पत्थरबाजी साफ देखी जा सकती है। वैसे सुत्रों के मुताबिक कानपुर हिंसा के पीछे पीएफआई (PFI) का नाम सामने आ रहा है। 26 मई को बीजेपी प्रवक्ता की टिप्पणी और 3 जून को कानपुर में हिंसा… इसके बीच भी कई सवाल हैं जिसका जवाब पुलिस को खोजना होगा।

ज्योतिष और द्वारिका शारदा पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बीती 2 जून को कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद में हमारे आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग प्रकट हुआ है। इसलिए 4 जून को वह 71 बटुकों, संतों, पुजारियों और ब्रह्मचारी के साथ वह ज्ञानवापी मस्जिद में प्रकट हुए शिवलिंग का दर्शन-पूजन करने जाएंगे। 4 जून की सुबह स्वामीअविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती श्रीविद्या मठ से बाहर निकलने के लिए बढ़े तो भारी पुलिस बल ने उन्हें रोक दिया।

पुलिस की ओर से कहा गया कि आपको पहले ही बताया जा चुका है कि जहां आप पूजा करने जाना चाहते हैं वो स्थान अदालत के आदेश से सील है। लॉ एंड ऑर्डर को देखते हुए वहां किसी को पूजा-पाठ की अनुमति नहीं दी जा सकती है। पुलिस से नोकझोंक के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि जब तक ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की पूजा शुरू नहीं होगी वो अन्न और जल ग्रहण नहीं करेंगे।

दोपहर के समय पुलिस को चकमा देकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती​​​​​​​ श्रीविद्या मठ से बाहर निकल कर सोनारपुरा चौराहा पहुंच गए। हालांकि पुलिस उन्हें वापस श्रीविद्या मठ ले आई। उनसे कहा गया कि वह ज्ञानवापी जाने का विचार त्याग दें और पुलिस का सहयोग करें

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