चित्रकूट- *रसिन बांध परियोजना का दंश आज भी झेल रहे हैं हुडा गांव के विस्थापित ग्रामीण।*
फिर भी सिंचाई विभाग अधिकारियों के कानों में नही रेंग रहा जूं
मामला चित्रकूट जिले के रसिन बांध परियोजना से जुड़ा हुआ है। बांध के डूब क्षेत्र में पड़ने वाले हुडा गांव को विस्थापित कर नए सिरे से बसाया गया है जिसमे कुछ परिवारों को आज तक अपना घर मयस्सर नही हुआ है। लोग अपना आशियाना बनाने के लिए आज भी दरदर की ठोकरे खा रहे हैं और सिचाई विभाग के अधिकारियों की चौखट नाप रहे हैं।
हुडा गांव के रहने वाले पीड़ित ग्रामीण किशोरी यादव बता रहे है कि उनके गांव में लगभग आधा सैकड़ा परिवार थे जिनको बांध बनने पर बाणगंगा नदी के तट से हटाकर कुछ दूरी पर सिचाई विभाग द्वारा भूखण्डों का आवंटन किया गया था किंतु सिचाई विभाग द्वारा किसी भी ब्यक्ति कोई निश्चित भूखण्ड नापकर नही दिया गया था जिसका फायदा उठाकर दबंग लोगो द्वारा अनाप सनाप भूमि में कब्जा करके भवनों का निर्माण कर लिया गया है और जो बचे हुए लोग है वो आज भी दर दर भटकने को मजबूर हो रहे है। उन्होंने बताया कि सिचाई विभाग के निर्माण खण्ड इकाई ने भूमि अधिग्रहण करके के प्लॉट बनाये थे और उसमें स्कूल, पार्क, कूड़ा, मंदिर आदि के लिए स्थान निर्धारित किया था और सभी विस्थापित परिवारों को 1800 स्क्वायर फीट के प्लाट आवण्टित किये थे किंतु सिचाई विभाग द्वारा किसी भी ब्यक्ति को कोई चिन्हित भूखण्ड नही बताया था और न उसके लिए कोई कागजी प्रूफ दिया था । जिससे ग्रामीणों ने अपने तरीके से मनमाने ढंग से भूखण्डो में कब्जा करके घरों का निर्माण करवा लिया और जो बचे हुए लोग थे उनको आज तक भूखण्ड नही मिले है जिससे ग्रामीणों के बीच आक्रोश बढ़ता जा रहा है और आये दिन विवाद हो रहे है। प्रशासन ने अगर हूडा गांव की समस्या को लेकर निस्तारण नही किया तो किसी दिन बड़ी घटना हो सकती हैं।
हूडा गांव की वृद्ध महिला भूरी कहती है कि दबंगो द्वारा सिचाई विभाग की पूरी जमीन में मनमाना कब्जा कर लिया गया है और जब वो लोग अपने घर बनाने के लिए थोड़ी जगह मांगते है या प्रयास करते है तो दबंगो द्वारा उनके साथ मारपीट की जाती है । उन्होंने बताया कि एक बार तो गांव के एक दबंग ने उसके बेटे के ऊपर कट्टे से गोली तक चलाई थी। भूरी का परिवार आज भी बाणगंगा नदी के तट पर अपने पुराने घर पर रह रहा है ।
ग्रामीण दिनेश ने तो *हूडा गांव के विस्थापितो की समस्या के लिए सीधे तौर पर सिचाई विभाग को जिम्मेदार ठहराया है* । उनका कहना है कि आज ग्रामीण आपस मे लग झगड़ रहे हैं जिसके लिए सिचाई विभाग जिम्मेदार है । सिचाई विभाग ने अगर सभी को बराबर बराबर बांटकर भूखण्ड आवण्टित करवाया होता तो यह नौबत न आती । दिनेश ने बताया कि यहां न स्कूल है न अस्पताल और न कूड़ा डालने की जगह बची है। यहां तक कि मंदिर और पार्क के लिए छोड़ी गई भूमि में भी दबंगो द्वारा कब्जा कर लिया गया है। बच्चो को नाव से नदी पार करके स्कूल जाना पड़ता है।
हूडा के भोला ने बताया कि उसकी एक बच्ची है जो पढ़ने के लायक है लेकिन वह स्कूल नही जाती है । उसने बताया कि वह नाव नही चलाता है तो उसकी बच्चो को नाव से पार नही उतारा जाता है। हूडा में स्कूल नही है और अस्पताल भी नही है।
हालांकि इस समस्या को लेकर जब हम सिचाई विभाग के अधिशासी अभियंता राजनाथ सिंह के पास पहुचे तो उन्होंने समस्या निस्तारण के निर्देश देकर अपने अधीनस्थो से तत्काल कार्यवाही के लिए कहा और जल्द ही अन्य विस्थापितों को उनके भूखण्ड दिलाने का अस्वाशन दिया है।
ओंकार सिंह
चित्रकूट