#Ripsharadyadav जेडीयू(JDU) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव (sharad yadav)का निधन हो गया। शरद यादव की बेटी शुभाषिनी यादव ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है। उनकी उम्र 75 साल थी। शुभाषिनी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘पापा नहीं रहे।’शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद के बंदाई गांव में किसान परिवार में हुआ था। किसान के घर जन्मे शरद पढ़ने लिखने में काफी तेज थे। छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने वाले शरद यादव ने बिहार की राजनीति में भी बड़ा मुकाम हासिल किया था। शरद यादव ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और फिर बिहार में अपना राजनीतिक परचम लहराया था।
शरद यादव ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एचडी देवगौड़ा, गुरुदास दासगुप्ता, मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव के साथ की थी। जबलपुर चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद देश का आपातकाल देखना पड़ा इस बीच शरद यादव की लोकप्रियता का ग्राफ भी बढ़ता रहा। हिंदी बेल्ट में शरद यादव की धाक बढ़ने लगी थी। शरद यादव 1977 में मध्यप्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से दोबारा चुनाव जीते। इसी साल पहली बार लालू प्रसाद यादव भी लोकसभा पहुंचे थे। और रामविलास पासवान भी बिहार के हाजीपुर से रिकॉर्ड मतों से जीत कर आए थे। उस समय नीतीश कुमार में राजनीति में एक्टिव हो गए थे।राजनीति की पहली सीढ़ी कही जाने वाली छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने वाले शरद यादव ने बिहार की राजनीति में भी बड़ा मुकाम हासिल किया है. मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और फिर बिहार में अपना राजनीतिक परचम लहराने वाले शरद यादव एक बार फिर से कुछ नया राजनीतिक गणित सेट करने में लगे हैं। सात बार लोकसभा में पहुंचने वाले शरद यादव 1986 में वे राज्यसभा से सांसद चुने गए। जिसके बाद 1989 में यूपी की बदायूं से लोकसभा चुनाव जीते थे।
1997 में जनता दल के अध्यक्ष चुने गए
शरद यादव, लालू यादव, नीतीश कुमार और रामविलास पासवान की राजनीतिक जीवन साथ-साथ ही चलता रहा है कभी ये साथ रहे हैं तो कभी विरोधी। 1991 से 2014 तक शरद यादव बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद रहे । 1995 में उन्हें जनता दल का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया और 1996 में वह पांचवी बार लोकसभा का चुनाव जीते थे। 1997 में उन्हें जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था। 1998 में उन्होंने जॉर्ज फर्नांडीस की मदद से जनता दल यूनाइटेड बनाई, जिसमे नीतीश कुमार जनता दल छोड़कर जुड़ गए थे।
शरद यादव ने 1999 में देश के नागरिक उड्डयन मंत्री बने फिर 2001 में उन्होंने केंद्रीय श्रम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। 2014 के लोकसभा चुनावों में उन्हें मधेपुरा सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। अभी के राजनीतिक हालात में शरद यादव और आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव की नजदिकियां बढ़ रही है । एक बार मधेपुरा लोकसभा सीट से शरद यादव ने लालू यादव को चारों खाने चित कर दिया था।