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कानपुर देहात की डीएम के आदेश पर कब्जा हटाने पहुंची थी टीम… फिर DM पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई

कानपुर: यूपी के कानपुर देहात की घटना ने सभी सभी झकझोर को रख दिया है। डीएम के आदेश पर कब्जा हटाने गई प्रशासनिक टीम के सामने झोपड़ी में मां-बेटी की जिंदा जलकर मौत हो गई। विपक्षी पार्टियों ने इस घटना को शर्मनाक बताया है। लेकिन मां-बेटी के मौत अपने पीछे कई अनसुलझे सवाल भी छोड़ भी गईं हैं। इस घटना के बाद एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद, लेखपाल अशोक सिंह, कानूनगों समेत कई अधिकारियों पर गाज गिरा दी गई। लेकिन सवाल उठता है कि कानपुर देहात की डीएम नेहा जैन पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। प्रशासनिक अमला आखिर डीएम के आदेश का पालन कर रहा था।

यूपी में बीते कुछ वर्षों में देखा गया है कि आईपीएस या फिर उससे लेवल के अधिकारियों पर शासन फौरन एक्शन ले लेता है। लेकिन जब बात आईएएस लेवल के अधिकारियों की बात आती है, शासन बैकफुट पर नजर आता हैं। यह हम नहीं कह रहे बल्कि यह मुद्दा कई बार उठ चुका है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हाथरस की घटना थी। हाथरस में युवती की गैंगरेप के बाद बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इसके बाद युवती का पोस्टमॉर्टम कराया गया था, और फिर आधी को परिवार की मर्जी के खिलाफ उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था।

हाथरस की घटना पर भी डीएम पर नहीं हुई थी कार्रवाई
हाथरस की घटना ने जब राजनीतिक रंग लिया था, तो यूपी की सियासत गरम हो गई थी। पूरे गांव को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। गांव के सभी आने-जाने वाले रास्तों पर बैरीकेडिंग लगा दी गई थी। जब मामले ने तूल पकड़ा था, तो शासन की तरफ से हाथरस के एसपी, थानेदार और चौकी प्रभारी को हटा दिया गया था। लेकिन हाथरस डीएम पर कार्रवाई नहीं हुई थी। उस दौरान इस मामले ने तूल पकड़ा था कि आईपीएस लॉबी पर तत्काल कार्रवाई की जाती है। लेकिन आईएएस लेवल के अधिकारी पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है। इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग ले लिया था। मीडिया और विपक्ष ने पूरी ताकत लगा ली थी, लेकिन डीएम पर कार्रवाई नहीं की गई थी।

डीएम ने दिया था आदेश
कानपुर देहात का मामला भी इसी तरह से फंसा हुआ नजर आ रहा है। मैथा तहसील के चाहला गांव में रहने वाले कुछ लोगों ने बीते सोमवार को कानपुर देहात की डीएम नेहा जैन से शिकायत की थी। इसके बाद डीएम ने एसडीएम को ग्राम समाज की जमीन से कब्जा हटाने के आदेश दिए थे। इसके बाद एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसार, लेखपाल, कानूनगो, रूरा थाना प्रभारी मयफोर्स के कब्जा हटवाने पहुंचे थे। जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया था। जिला प्रशासन से कई जगह पर चूक भी हुई है। जिसे दबाने की भी कोशिश की जा रही है।

जिला प्रशासन ने दर्ज कराया था मुकदमा
मृतका प्रमिला के बेडे शिवम ने बताया था कि कुछ दिन भी प्रशासन की टीम कब्जा गिराने के लिए आई थी। उस वक्त 10 से 12 लोगों के कब्जे को हटाया गया था। इसके बाद टीम ने हम लोगों से कहा था कि 08 से 10 दिन का समय दे रहे हैं, खुद से कब्जा हटा लो। इसके बाद पिता कृष्ण गोपाल दीक्षित बकरियां और अन्य मवेशियों को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंच गए थे। लेकिन वहां पर डीएम साहिबा नहीं थीं। प्रशासनिक अधिकारियों ने समझा बुझाकर घर वापस भेज दिया। लेकिन इसके अगले ही जिला प्रशासन की तरफ से पिता, हम दोनों भाईयों, मां प्रमिला समेत पूरे परिवार पर बलवा समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया गया था।

डीएम इतनी निष्ठुर हैं, अधिकारियों पर बुलडोजन चलना चाहिए
कानपुर देहात से राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला का कहना है कि मुझे नहीं पता था कि डीएम इतनी निष्ठुर हैं। जबकि मैंने उनसे कहा था कि इस परिवार की समस्या सुनकर मदद करें। लेकिन डीएम ने उल्टा इसी परिवार पर एफआईआर करा दी। वहीं कानपुर देहात के अकबरपुर लोकसभा सीट से सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने भी डीएम को कठघरे में खड़ा किया। बिठूर विधानसभा से बीजेपी विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने तो यहां तक कह दिया, इस घटना के जिम्मेदार अधिकारियों पर बुलडोजर चलना चाहिए।

गरीब की झोपड़ी पर नहीं चलेगा बुलडोर
भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दर्शना सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वीडियो ट्वीट किया है। जिसमें सीएम योगी ने कहा था कि जिला प्रशासन के लोग भी इस को समझ लें, मैं देखता हूं कि गरीब की झोपड़ी उजाड़ते हैं। गरीब की झोपड़ी पर आप का बुलडोजर नहीं चलना चाहिए। आप की कार्रवाई पेशेवर अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ होनी चाहिए। यदि कहीं पर उसका मकान ऐसी जमीन पर बन भी गया है, तो पहले जो आराक्षित श्रेणी की हो उन्हे पहले कहीं व्यवस्था रहने की व्यवस्था दीजिए। तब जाकर उसकी सहमति से पुर्नवास कराईए।

कहां पर चूक हुई
अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष के नेता डीएम पर सवाल उठा रहे हैं। इसके बाद भी कानपुर देहात की डीएम पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। शासन भी इस बात को भतिभांति जानता है कि इस पूरे प्रकरण में किससे और कहां पर चूक हुई है।

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