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गुल्लक के बाद कानपुर में लहराया दावत-ए-इस्लामी का हरा झंडा, जानें भारत के किन शहरों में हैं ‘हरी पगड़ी वालों’ का हेड क्वार्टर

कानपुर। पाकिस्तानी तंजीम दावत-ए-इस्लामी का नेटवर्क यूपी के कई शहरों में फैला हुआ है। इस्लाम के प्रचार-प्रसार के बहाने यह संगठन हर माह लाखों का चंदा इकट्ठा कर रहा था। बरेली में बकाएदा संगठन से जुड़े लोग दुकानों के बाहर बॉक्स रखकर मोटी रकम वसूल रहे थे। जबकि चंदा देने वालों को इसकी भनक तक नहीं थी। कुछ ऐसा ही मामला कानपुर के रूपरूप नगर में सामने आया है। यहां मेडिकल स्टोर की छत पर आंतकवादी संगठन का झंडा लहराता हुआ वीडियो वायरल हुआ है। वीडियो वायरल होते ही मेडिकल स्टोर संचालक ने इसे तुरंत हटा दिया। हालांकि एसीपी बृज नारायण सिंह ने कहा कि मामला संज्ञान में नहीं है, अभी तक कोई शिकायत भी नहीं आई। अगर कुछ होता है तो कार्रवाई की जाएगी।

बरेली के बाद कानपुर में एंट्री
दावत-ए-इस्लामी का नेटवर्क सिर्फ भारत में नहीं बल्कि कई और देशों में भी फैला हुआ है। यह तंजीम इस्लाम के प्रचार-प्रसार के बहाने चंदे की शक्ल में पैसे तो इकट्ठी करती है लेकिन यह पैसा किसे दिया जाता है और किस काम में इस्तेमाल होता है, इसकी जानकारी उन लोगों को भी नहीं है जो संगठन के लिए चंदा इकट्ठा करते हैं। अब उदयपुर की घटना के बाद जरूर इस तंजीम को शक की नजर से देखा जा रहा है। मामले की जानकारी होने पर एडीजी बरेली रेंज ने जांच के आदेश दिए हैं। वहीं कानपुर स्थित रूपरूप नगर इलाके के एक मेडिकल स्टोर की दुकान का वीडियो वायरल हुआ है। वीडियो में संगठन का झंडा लहराते हुए दिखा है। इसके अलावा एक बॉक्स भी दुकान में रखा हुआ दिखाई दिया है।

हर दुकान में चंदे का बॉक्स लगा हुआ था
बरेली के मिशन मार्केट में लगभग हर दुकान में उसका चंदे का बॉक्स लगा हुआ था। अब अधिकतर दुकानदारों ने इस बॉक्स को हटा दिया है लेकिन कुछ दुकानदार अब भी चंदे का बॉक्स काउंटर पर लगाए हुए हैं। कुछ दुकानदारों ने बॉक्स को काउंटर से हटाकर इधर-उधर रख दिया है ताकि किसी की नजर उस पर न पड़े। यही स्थिति पुराना शहर के सैलानी और मुन्ना खां के नीम इलाके का भी है। यहां भी कई दुकानों पर दावत-ए-इस्लामी संगठन के चंदे के बॉक्स अब भी लगे हुए है।

हरी पगड़ी वालों के नाम से मशहूर
दावत-ए-इस्लामी के लोग पूरे शहर में हरी पगड़ी वालों के नाम से मशहूर है। कई मुस्लिम लोग इस तंजीम को इस्लाम का बोलबाला करने वाली तंजीम मानती है। हालांकि कई खानकाहों को इनका तरीका भी पसंद नहीं आता है। हरी पगड़ी वाले लोगों की शहर में अच्छी-खासी तादाद है। दावत-ए-इस्लामी संगठन से जुड़े लोग अलग-अलग शहरों में हर महीने एक बार इकट्ठे होते हैं। इसे जमात कहा जाता है। इस दौरान मुस्लिमों को इस्लाम के बारे में जानकारी देने का दावा किया जाता है। हालांकि कई जिलों में इनके मानने वाले लोगों की कम संख्या होने के कारण जमात में ज्यादा भीड़ नहीं जुटती लेकिन यह संगठन लगातार अपनी गतिविधियां बढ़ाने में जुटा हुआ है।

गतिविधियां काफी समय से चल रहीं
दरगाह आला हजरत के प्रभाव वाले बरेली में भी इसकी गतिविधियां काफी समय से चल रही हैं। शहर में कई इलाके हैं जहां दावत-ए-इस्लामी से तमाम लोग संबद्ध हैं और जमात के दौरान भारी संख्या में उन्हें सुनने भी पहुंचते हैं। शहर में हरी पगड़ी वाले सबसे ज्यादा लोग पुराना शहर में है। बताया जाता है कि हर शहर में इनकी कम से कम एक मस्जिद भी बनी हुई है। अब लोग इस तंजीम के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं। दुकानदारों ने बॉक्स को हटा दिया है। वहीं पुलिस पर एक्टिव हो गई है।

दुनिया के 194 देशों में फैला नेटवर्क
दावत-ए-इस्लामी का गठन और संचालन पाकिस्तान से होता है। दुनिया के 194 देशों में इसका नेटवर्क फैला है। साल 1981 में दावत-ए-इस्लामी का गठन मौलाना इलियास अत्तारी ने पाकिस्तान के कराची में किया था। इलियास अत्तारी के चलते दावत-ए-इस्लामी से जुड़े लोग अपने नाम के साथ अत्तारी लगाते हैं। 1989 में पाकिस्तान से उलेमा का एक प्रतिनिधिमंडल भारत आया था। इसी के बाद दावत-ए-इस्लामी संगठन को लेकर भारत में चर्चा शुरू हुई और इसकी शुरुआत हुई। भारत में दिल्ली और मुंबई में संगठन का हेड क्वार्टर है। सैयद आरिफ अली अत्तारी, दावत-ए-इस्लामी के भारत में विस्तार का काम कर रहे हैं।

उदयपुर की घटना पर इसी संगठन का हाथ माना जा रहा
राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैया कुमार की हत्या में दावत-ए-इस्लामी संगठन के सदस्यों का हाथ माना जा रहा है। ये सुन्नी मुस्लिम संगठन है। इसका काम पैगंबर मोहम्मद साहब के संदेशों का प्रचार-प्रसार करना है। इसी बुनियाद पर इसका गठन भी हुआ था। उदयपुर की घटना पैगंबर की बेअदबी से जुड़ी हुई है क्योंकि दोनों हत्यारों ने वीडियो जारी कर कहा था कि यह इस्लाम और पैगंबर के अपमान का बदला है। दावत-ए-इस्लामी ने अपनी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने के लिए चैनल खोल रखा है जिसका नाम मदनी है। इस चैनल पर उर्दू के साथ अंग्रेजी और बांग्ला में भी कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। चैनल का संचालन पाकिस्तान से किया जाता है।

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