कानपुर। सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के ऐसे कर्मचारियों की स्क्रीनिंग का आदेश दिया था, जो अपना कार्य ठीक तरीके से नहीं कर रहे हैं। जिसके तहत सूबे के सभी जनपदों में स्क्रानिंग टीम का गठन किया गया। कानपुर में अपर पुलिस आयुक्त आनंद कुलकर्णी को दरोगा नागेंद्र सिंह यादव की जांच की जिम्मेदारी दी गई थी। जांच में सामने आया कि नागेंद्र सिंह यादव को 10 वर्षों में तीन बार परिनिंदा लेख से दंडित किया जा चुका है। साथ ही जांच में ये भी सामने आया है कि, दरोगा, सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करता है। अधिकारियों से भी वह फोन पर अभद्रता के साथ शराब का सेवन करता है।
सीएम योगी आदित्यनाथ हर विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि अब बेईमान भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सरकार में कोई जगह नहीं है। इनको तत्काल वीआरएस देकर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू किए जाने के साथ ही ऐसे सभी कर्मचारियों की स्क्रीनिंग कर अनिवार्य सेवानिवृत्ति किए जाने के आदेश दिए थे। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने सभी विभागों में 50 वर्ष की आयु पूरी कर चुके कर्मचारियों की स्क्रीनिंग 31 जुलाई तक पूरा करने के निर्देश दिए थे। मुख्य सचिव ने साफ किया है कि यदि किसी कर्मचारी के मामले को पहले स्क्रीनिंग कमेटी के सामने रखकर उसे सेवा में बनाए रखने का फैसला किया जा चुका है तो उस कर्मचारी का मामला दोबारा कमेटी में रखने की जरुरत नहीं है। जिसके बाद सूबे में ऐसे कर्मचारियों की निगरानी का काम शुरू हो गया है।
इसी के तहत कानपुर में भी ऐसे कर्मचारियों की निगरानी और जांच का कार्य शुरू कर दिया गया। एसीपी ने बताया कि जांच में सामने आया है कि दारोगा नागेंद्र सिंह यादव शराब का सेवन करता है। सोशल मीडिया में प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री के खिलाफ अभद्र तिपण्णी करता है। इसके अलावा राजनैतिक पार्टियों के कार्यक्रमों में भी प्रतिभाग करता है और बिना सूचना अनुपस्थित रहने के साथ विभागीय कार्य में रुचि नहीं लेता है। इन सब आरोपों के मद्देनजर नागेंद्र सिंह यादव को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है। एसीपी ने बताया कि, पुलिस विभाग में लापरवाह और करप्ट पुलिसकर्मी की कोई जगह नहीं है। फिलहाल ऐसे पुलियकर्मियों की जाच करवाई जा रही है। दोषी पाए जाने पर उन्हें भी रिटायर कर दिया जाएगा।
जबरन सेवानिवृत्ति दिए जाने पर दारोगा नागेंद्र सिंह यादव का कहना है कि जिस प्रकरण को लेकर दंडित किया गया है, वह 2020 का मामला है। इस मामले में सैफई के युवक को गिरफ्तार करके जेल भी भेजा गया था। अधिकारियों ने जांच के बाद 15 दिन का वेतन काटा था। उसने कोई अपराध नहीं किया था बल्कि पुलिस अधिकारियों ने बिना जांच के उसे दंडित किया था। दारोगा का कहना है कि पिछले तीन साल में 12 अवकाश दिए गए। घर पर आवश्यक कार्य की वजह बताने पर भी अवकाश नहीं दिया गया तो वह बिना सूचना चले गए थे। इस प्रकरण में भी उनका 30 दिन का वेतन काट दिया गया था। जो भी मामले थे, उसमें दंडित किया जा चुका है। ऐसे में जबरन सेवानिवृत्ति देकर उसके साथ अन्याय किया गया है। वह इस मामले को लेकर कोर्ट में जाएंगे।