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कभी मां सीता ने कानपुर के इस कस्बे में गुजारा था अपना ’अनमोल समय’, लव-कुश ने हनुमान जी को बंदी बनाकर इस जेल में था रखा, आज भी मौजूद है त्रेतायुग की ‘सीता रसोई’

कानपुर। कानपुर को अर्थ, क्रांति के साथ ही धर्मनगरी कहा जाता है। शहर से करीब 20 किमी की दूरी पर बिठूर कस्बा है। बताया जाता है कि, जब भगवान श्रीराम ने मां सीता को वनवास जाने को कहा था तो वह लखनऊ के रास्ते इसी कस्बे में पहुंची। यहीं पर उन्होंने कई बरस बिताए। लव-कुश का जन्म भी बिठूर में ही हुआ था। दोनों ने महर्षि वाल्मीकि जी से अस्त्र-शस्त्र चलाने की शिक्षा भी ली थी। आज भी करीब 8 लाख साल पुरानी वह सारी धरोहरें यहां पर जस के तस मौजूद हैं। वह जेल भी है जहां पर लव-कुश ने राम भक्त हनुमान जी को बंदी बनाकर रखा था।

आज भी मौजूद है सीता रसोई
बिठूर कस्बे धर्म के साथ क्रांति का गवाह है। यहीं से 1856 की क्रांति का बिगुल नाना साहेब और उनके क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के खिलाफ फूंका था। यह वह धरती हैं, जहां ब्रम्हा जी ने श्रृष्ठि की रचना की थी और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महायज्ञ किया था। साथ ही भक्त ध्रुव ने भगवान की तप किया था। गंगा के किनारे बसे बिठूर में ही 8 लाख साल पहले माता सीता बिठूर थीं और यहीं पर लव-कुश का जन्म भी हुआ था। लव-कुश ने इसी स्थान से शिक्षा प्राप्त की थी। वहीं राम जानकी मंदिर में लव-कुश के बाण आज भी रखे हुए हैं। सीता रसोई भी बनी हुई है। यहीं पर मां सीता भोजन बनाया करती थीं। उस समय उपयोग किए गए बर्तन भी सीता रसोई में मौजूद हैं।

वाल्मीकि जी के आश्रृम में लव और कुश ने शिक्षा-दीक्षा ली
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि लव-कुश ने यहीं पर बाण आदि चलाना सीखा और यहीं वह भोर में गंगा में स्नान करने जाते थे। यहीं पर उन्होंने घुड़सवारी आदि भी सीखा। लव-कुश मंदिर के पुजारी बताते हैं कि महर्षि वाल्मीकि जी के आश्रृम में लव और कुश ने शिक्षा-दीक्षा ली। पुजारी के मुताबिक, आज भी महर्षि वाल्मीकि जी का आश्रृम हैं। वह स्थान पर यहां पर मौजूद हैं, जहां मां सीता धरती के गोद पर चली गई थीं। जिस स्थान में हनुमान जी को बंदर बनाकर रखा गया, वह जेल भी ज्यों की त्यों आज भी है। यहां हरदिन सैकड़ों की संख्या में भक्त आते हैं और मां सीता के दर्शन कर पुण्य कमाते हैं।

हनुमान जी और लक्ष्मण जी को बनाया था बंदी
पुजारी बताते हैं, भगवान श्री राम ने जब अश्वमेघ यज्ञ कराया था, तो कोई भी राजा उनके घोड़े को नहीं पकड़ पाया था। वाल्मीकि रामायण में उल्लेख है कि जब वो घोड़ा बिठूर पहुंचा तो लव-कुश ने उसे बांध लिया था। जब राम भक्त हनुमान उस घोड़े को छुड़ाने आए तो लव-कुश ने उन्हें भी परास्त कर बंधक बना लिया। आज भी यहां पर वो स्थल बना हुआ है जहां भगवान हनुमान को कैद किया गया था। हनुमान को छुड़ाने आए लक्ष्मण को भी उन्होंने यहीं बंधक बना लिया था।

यहीं पर भगवान राम और मां सीता का हुआ था मिलन
पुजारी बताते हैं, जब हनुमान और लक्ष्मण की कोई भी खबर नहीं मिली तब भगवान राम स्वयं यहां युद्ध के लिए आ पहुंचे। युद्ध के बीच में ही उन्हें पता चला की जिन लव-कुश के साथ वह युद्ध कर रहे हैं वह उनके ही पुत्र हैं। इसके बाद माता सीता की राम से मुलाकात भी यहींं पर हुई थी। यह स्थान भी यहां पर मौजूद है और रोज यहां पर भक्तों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है।

आज भी मौजूद है कुआं
वो पेड़ जिसके नीचे बैठ कर लव-कुश शिक्षा लिया करते थे आज भी वहां मौजूद है। कुंआ जिसका पानी मां सीता इस्तेमाल करती थी आज भी मौजूद है और उस कुएं का पानी आज भी नहीं सूखा है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि, यूपी में बिठूर में ही मां सीता का इकलौता मंदिर है। यहा जो भक्त आता है तो मां सीता उनके हर मन्नत पूरी करती हैं। पुजारी बताते हैं कि योगी सरकार ने बिठूर को पर्यटक स्थल घोषित किया था, लेकिन जमीन पर काम नहीं हुआ। सिर्फ एक ट्रेन का संचालन ही हो पाया है।

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