कानपुर। डीजीजीआई अहमदाबाद की टीम ने नामी इत्र कारोबारी पियूष जैन के कानपुर और कन्नौज स्थित घर पर छापा मारकर करीब 197 करोड़ रुपए की नकदी और 12 किलो सोना बरामद किया था। डीजीजीआई की तहरीर के आधार पर काकादेव पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपी कारोबारी को जेल भेज दिया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पियूष जैन को जमानत दे दी थी। कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद गुरूवार को ‘धनकुबेर’ आठ माह के बाद जेल से बाहर आ गया। चेहरे पर उसके कोई टेंशन नहीं थी। चेहरे में मुस्कान और इत्र की खुशबू के साथ वह कार में सवार होकर अपने आवास लिए निकल गया।
कौन हैं पीयूष जैन
पीयूष जैन कन्नौज और कानपुर का एक बड़ा इत्र कारोबारी है। पीयूष का जन्म कन्नौज में हुआ था। पियूष का कानपुर के अलावा कन्नौज में भी एक घर है। जैन 40 से ज्यादा कंपनियों का मालिक है और चौंकाने वाली बात ये है कि इसकी दो कंपनियां मिडिल ईस्ट में भी मौजूद थीं। कन्नौज में जैन की इत्र फैक्ट्री के साथ ही कोल्ड स्टोरेज और पेट्रोल पंप भी मौजूद हैं। पीयूष ने अपनी कंपनियों का हैडऑफिस मुंबई में बना रखे थे और यहीं से इसकी कंपनी का इत्र विदेशों में एक्सपोर्ट होता था। जांच में पता चला था कि, मुंबई में भी पीयूष का एक आलीशान आशियाना है।
करीब 36 घंटों तक चली थी छापेमारी
जैन के घर आयकर विभाग और डीजीजीआई की टीम ने छापेमारी की और ये कार्रवाई करीब 36 घंटों तक चली थी। इस दौरान अधिकारियों को करीब 197 करोड़ रुपये नकद बरामद किए थे। हालात ये थे कि दीवारों, अलमारियों के साथ ही नोटों की गड्डियां बिस्तरों में भी भरी हुई थीं। इतने रुपयों को ले जाने के लिए अधिकारियों को भी अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ी और इसके लिए 80 बक्से मंगवाए गए थे। इतना ही जैन के कन्नौज वाले घर से करीब 23 किलो सोना बरामद हुआ था। इस मामले में डीजीजीआई अहमदाबाद और डीआरआई लखनऊ की ओर से दो मुकदमे दर्ज किए गए थे। दोनों ही मामलों में उसको हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है।
कोर्ट ने रिहाई के दिए आदेश
डीजीजीआई के मामले में पिछले दिनों मिली जमानत के बाद स्पेशल सीजेएम कोर्ट ने उसको 10-10 लाख की दो जमानतें दाखिल करने के निर्देश दिए थे। उसकी ओर से पत्नी व बेटे ने 10-10 लाख की एफडी दाखिल की थी। जिसकी सत्यापन रिपोर्ट बुधवार को आ गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने पीयूष की रिहाई के आदेश कर दिए थे। गुरूवार को जेल से बाहर आए पियूष जैन मुंह पर मास्क लगाए हुए थे। कई कारें जेल के बाहर पहले से खड़ी थीं। पियूष जैसे ही बाहर आया, वैसे ही वह एक कार पर सवार होकर अपने घर की तरफ चला गया।