कानपुर। पिछले कई दिनों से फरार चल रहे सीसामऊ सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी ने शुक्रवार की सुबह अपने भाई रिजवान सोलंकी के साथ पुलिस कमिश्नर आवास में खुद को सरेंडर कर दिया। इस दौरान उनका परिवार, विधायक अमिताभ बाजपेई, विधायक हसन रूमी आदि मौजूद रहे। सरेंडर से पहले इरफान सोलंकी फूट-फूट कर रोए। कैंट से विधायक हसन रूमी ने कहा कि, हम कानून का पालन करते हैं। पुलिस कमिश्नर से साफ कहा गया है कि, सही तरीके से पूरे प्रकरण की जांच कराएं। विधायक इरफान सोलंकी बेकसूर हैं और पुलिस ने उन्हें गलत तरीके से फंसाया है।
क्या है पूरा मामला
समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी और उनका भाई रिजवान 24 दिनों से फरार चल रहे हैं। दोनों के खिलाफ पड़ोसी महिला का घर फूंकने के मामले को लेकर जाजमऊ थाने में गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज है। पुलिस की कई टीमें 24 दिनों से फरार विधायक की गिरफ्तारी के लिए देश के कई शहरों में छापेमारी कर रही थीं। गुरूवार को जब पुलिस को पता चला कि विधायक कोर्ट में सरेंडर कर सकते हैं तो कचहरी को छावनी में तब्दील कर दिया गया। इसके बाद विधायक के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई की तैयारी भी पुलिस कर रही थी। जिसके बाद शुक्रवार को विधायक ने अपने भाई के साथ सरेंडर कर दिया।
आगजनी के मामले में फोरेंसिक रिपोर्ट से बड़ा खुलासा
मामले में विधायक के परिवार ने प्रेसवार्ता करके कई तथ्य सामने रखे थे। हालांकि प्लॉट में आगजनी के मामले में फोरेंसिक रिपोर्ट से बड़ा खुलासा हुआ था। घटनास्थल पर ज्वलनशील पदार्थ की पुष्टि हुई थी। पटाखे से आग लगने की पुष्टि नहीं हो सकी थी। ऐसे में फोरेंसिक रिपोर्ट भी साजिश की ओर इशारा कर रही थी। वहीं पुलिस ने इरफान के करीबियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। कईयों को अरेस्ट कर जेल भेजा। इरफान की चचेरी बहन उज्मा सोलंकी के साथ पुलिस ने कई घंटे तक पूछताछ की। पुलिस का दबाव बनता देख विधायक ने खुद को सरेंडर कर दिया।
इन धाराओं में दर्ज है मुकदमा
इरफान सोलंकी पर धारा 212 के तहत मुकदमा दर्ज है। धारा 212 के तहत अपराधी को कानूनी दंड से बचाने के इरादे से आश्रय देना। अपराध यदि मृत्यु दंडनीय है, तो आश्रम देने वाले को पांच वर्ष की सजा व जुर्माना, अगर अपराध आजीवन कारावास या दस वर्ष तक की सजा से दंडनीय है तो तीन वर्ष तक की सजा व जुर्माना हो सकता है। विधायक पर धारा 419 के तहत दर्ज है मुकदमा। किसी दस्तावेज को फर्जी तरीके से बनाना। तीन सात तक सजा व जुर्माना। विधायक पर धारा 467 के तहत दर्ज है मुकदमा। अगर केंद्र सरकार से जुड़े दस्तावेज को कूटरचना करके तैयार किया जाता है तो आजीवन कारावास या दस वर्ष की सजा और जुर्माना हो सकता है। विधायक पर धारा 468 के तहत दर्ज है केस। कूट रचना यह जानकार की जाए कि इसका प्रयोग छल के लिए किया जाएगा। सात वर्ष तक की सजा और जुर्माना। विधायक पर धारा 471 के तहत दर्ज है एफआईआर। धारा 120बी के तहत दर्ज है विधायक पर केस।
धारा 82 के तहत होनी थी कार्रवाई
नियमानुसार जब किसी मुकदमे में वांछित अभियुक्त पुलिस की गिरफ्त में नहीं आता है और आत्मसमर्पण भी नहीं करता है तो पुलिस उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट अदालत से लेती है। इसके बाद पुलिस कुर्की की कार्रवाई शुरू करती है। इस प्रक्रिया में पहले सीआरपीसी की धारा 82 के तहत पुलिस को अदालत से अनुमति लेने पड़ती है कि वह अभियुक्त के ठिकानों पर भगौड़ा घोषित होने की मुनादी कराए और घर पर नोटिस चस्पा करें। नियमानुसार एक महीने का समय दिया जाता है। अगर इसके बावजूद आरोपित कानून के शिकंजे में नहीं आए तो एक महीने के बाद उनकी संपत्ति सीज की जा सकती है। हालांकि विशेष मामलों में यह कार्रवाई अदालत की अनुमति से पुलिस कम समय में ही कर सकती है।