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मुलायम सिंह यादव के 1960 वाली करवल की ‘पटकथा’ का सामने आया सच, धरती पुत्र ने इस वजह से मंच पर दरोगा को धोबी पछाड़ के जरिए किया था चित

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के संरक्षक व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का गुरूग्राम के मेदांता अस्पताल में सोमवार की सुबह निधन हो गया। नेता जी के पार्थिक शरीर का उनके पैतृक गांव सैफई में अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर देश के कोने-कोने से उनके प्रशंसकों के अलावा सत्तापक्ष व विपक्ष के नेताओं का जमावड़ा लगा रहा। सूबे में धरती पुत्र के नाम से पहजाने वाले मुलायम सिंह यादव की जिंदगी से जुड़े एक किस्से से हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं। 21 साल के युवा नेता ने मंच पर चढ़कर पुलिस के एक दरोगा को धोबी पछाड़ के जरिए चित कर न्याय, इंसाफ और राजनीति में अपने लंबे कॅरियर का शंखनाद कर दिया था।

26 जून 1960 को वह दिन था, जब मैनपुरी में करहल के जैन इंटर कॉलेज के कैंपस में एक कवि सम्मेलन चल रहा था। कवि सम्मेलन में उस समय के मशहूर कवि दामोदर स्वरूप विद्रोही भी मौजूद थे। जैसे ही विद्रोही मंच पर पहुंचे और उन्होंने अपनी लिखी कविता ‘दिल्ली की गद्दी सावधान’ को मंच से पढ़ना शुरू किया वैसे ही एक पुलिस इंस्पेक्टर ने उन्हें रोका। दरअसल दामोदर स्वरूप विद्रोही की ये कविता तत्कालीन सरकार के खिलाफ थी। इसी वजह से इंस्पेक्टर उन्हें ये कविता पढ़ने से रोकने के लिए मंच पर चढ़ गया। जब विद्रोही नहीं माने तो दारोगा ने उनका माइक छीन लिया। इस दौरान पुलिस और कवि के बीच टकरार दिखी।

दरोगा, हरहाल में कवि को मंच से उतारने पर तुला था, तभी तभी मुलायम सिंह यादव जो उस समय महज 21 वर्ष की उम्र के थे वो भीड़ से निकलकर मंच पर जा पहुंचे। 10 सेकेंड में उस नौजवान ने इंस्पेक्टर को उठाकर मंच पर पटक दिया। ये नजारा देख लोग मुलायम सिंह जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। जानकार बताते हैं कि, पुलिस ने मुलायम सिंह यादव को हिरासत में ले लिया था। बाद में कुछ नेता मुलायम सिंह के समर्थन में उतर आए और पुलिस को नेता जी को छोड़ना पड़ा। इसी के बाद से मुलायम सिंह यादव का कद यूपी की सियासत में बड़ा और उन्हें लोग दगंल के अलावा राजनीति के पहलवान के नाम से पुकारने लगे।

समाजवादी पार्टी और कुनबे के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया। 22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई में जन्मे मुलायम सिंह की पढ़ाई-लिखाई इटावा, फतेहाबाद और आगरा में हुई। मुलायम कुछ दिनों तक मैनपुरी के करहल स्थति जैन इंटर कॉलेज में प्राध्यापक भी रहे। पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर मुलायम सिंह की दो शादियां हुईं। पहली पत्नी मालती देवी का निधन मई 2003 में हो गया था। मुलायम की दूसरी पत्नी हैं साधना गुप्ता। साधना गुप्ता से मुलायम के बेटे प्रतीक यादव हैं। साधना का इसी वर्ष निधन हो गया था।

पिता सुधर सिंह मुलायम को पहलवान बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने भी पुरजोर तरीके से जोर आजमाइश शुरू कर दी थी। लेकिन पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती-प्रतियोगिता में प्रभावित कर लिया। यहीं से उनका राजनीतिक सफर भी शुरू हो गया। उन्होंने नत्थूसिंह के परंपरागत विधान सभा क्षेत्र जसवंतनगर से अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की। राम मनोहर लोहिया और राज नरायण जैसे समाजवादी विचारधारा के नेताओं की छत्रछाया में राजनीति का ककहरा सीखने वाले मुलायम 28 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने। मुलायम सिंह यादव यूपी के तीन बार मुख्यमंत्री के अलावा सात बार सांसद और आठ दफा विधायक चुने गए।

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