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आखिरकार चाचा-भतीजे के बीच हो गई दोस्ती ! शिवपाल को अखिलेश यादव देने जा रहे ये कुर्सी

लखनऊ। किसी ने सच कहा है सियासत बड़ी अजब चीज है,जिस चाचा से कभी अखिलेश ने कुर्सी छीनी थी अब उसी चाचा की कुर्सी के लिए अखिलेश यादव लेटर-लेटर खेल रहे है ।विधानसभा में चाचा शिवपाल यादव को आगे की कुर्सी दिलाने के लिए अखिलेश यादव ने विधानसभा अध्यक्ष को एक पत्र लिखा था। उस पत्र में सपा प्रमुख ले लिखा था कि, शिवपाल यादव विधानसभा के वरिष्ठ विधायक हैं। इसके साथ ही वह एक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। ऐसे में उन्हें आगे की एक कुर्सी एलॉट की जाए। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी इस मांग को खारिज कर दिया। अब शिवपाल यादव को अखिलेश के विधायकों के साथ ही बैठना होगा।

हर किसी को मालूम है कि शिवपाल और अखिलेश के बीच तल्खी अब अपने शबाब पर पहुंच चुकी हैं। कुछ दिन पहले ही शिवपाल यादव ने अपने संगठन की बैठक की थी। उस संगठन की बैठक के बाद हुंकार भरी 2024 में वे सत्ता में होंगे। इससे पहले अखिलेश से नाराज होकर शिवपाल यादव ने साफ ऐलान कर दिया था वह भविष्य में कभी भी समाजवादी पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं करेंगे। ऐसे में साफ हो गया है कि शिवपाल यादव की राह अखिलेश से अलग हो गई है। इतना ही नहीं शिवपाल यादव ने अब यादव पुनर्जागरण मिशन के तहत पुराने समाजवादी यादव नेताओं को लामबंद करना भी शुरू कर दिया है। ऐसे में अखिलेश यादव को डर सताने लगा है कहीं ऐसा ना हो कि चाचा की नाराजगी उन्हें भारी पड़ जाए।

शायद यही वजह है कि अखिलेश यादव डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं। चाचा शिवपाल के सम्मान के लिए उनकी कुर्सी ढूंढ रहे हैं। तकनीकी तौर पर शिवपाल यादव अभी भी समाजवादी पार्टी से विधायक हैं ऐसे में उन्हें नियमों के मुताबिक समाजवादी पार्टी के ही विधायकों के साथ बैठना पड़ेगा। बतादें 2024 के लिए अखिलेश अब सक्रिय नजर आने लगे हैं। अपने संगठन को तो मजबूत करने की कवायद में जुटे ही हैं पार्टी में नई जान फूंकने की कोशिश भी कर रहे हैं। साथ ही रूठो को मनाने की कवायद भी शुरू कर दी है।

दो दिन पहले ही रुठे आजम खान को मनाने दिल्ली पहुंचे थे। तब चाचा शिवपाल को मनाने के लिए कुर्सी दिलाने का दांव चल दिया। बीजेपी इस खेल को बखूबी समझती है शायद यही वजह है अखिलेश की टोपी अखिलेश के सिर पर ही रख दी गई। अखिलेश के मांग को विधानसभा अध्यक्ष ने खारिज कर दिया बल्कि सपा के खाते में आगे की 1 सीट बढ़ाकर वह दांव भी चल दिया कि अब गेंद सपा के ही पाले में रहे कि सपा शिवपाल को आगे की सीट देती है या नहीं। बीजेपी ने ऐसा खेल खेला सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी। शिवपाल के नाम की सीट भी नहीं दी और एक अतिरिक्त सीट देकर सपा को यह मैसेज भी दे दिया कि अगर चाचा का इतना सम्मान करते हो तो ये आगे की सीट आप ही दे दो।

 

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