नई दिल्ली। अमेरिका ने रविवार की सुबह करीब छह बजे अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक घर की बालकनी में बैठे अलकायदा चीफ अयमान अल जवाहिरी को मार गिराया था। खुद इसकी पुष्टि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन घटना के 48 के बाद की थी। इस हमले में तालिबानी गृहमंत्री शरिजुद्दीन हक्कानी के बेटे और एक रिश्तेदार के भी मारे जाने की खबरें हैं। अफगान मीडिया के मुताबिक हक्कानी ने ही अपने सुरक्षित ठिकाने पर तालिबानी सरगना को पनाह दे रखी थी। जवाहिरी की मौत के बाद अब सबसे बड़ा सवाल पाकिस्तान की भूमिका को लेकर उठ रहा है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि, जवाहिरी के खात्मे में पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा की बहुत अहम भूमिका रही है।
रविवार की सुबह मारा गया था जवाहिरी
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में रविवार की सुबह अमेरिका के किलर द्रोन ने हमला कर अलकायदा चीफ जवाहिरी को मिशाइल के जरिए मौत के घाट उतार दिया था। बताया जा रहा है कि अमेरिका ने जिस किलर ड्रोन से जवाहिरी के किले को निशाना बनाया, वह किसी खाड़ी देश जैसे कतर से उड़कर पाकिस्तान के रास्ते काबुल तक गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि यह ड्रोन विमान बिना जनरल बाजवा की मंजूरी के पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र से उड़कर नहीं जा सकता था। अमेरिकी किलर ड्रोन को रास्ता देने का ही इमरान खान विरोध करते थे लेकिन शहबाज राज में अमेरिका को यह मंजूरी दी गई।
पाक सेना प्रमुख से मिला था अमेरिका सेना का अफसर
पाकिस्तानी पत्रकार कामरान यूसुफ ने खुलासा किया है कि जवाहिरी पर हमले से दो दिन पहले ही अमेरिकी सेना के एक शीर्ष जनरल ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा से बातचीत की थी। कामरान ने कहा कि ऐसा लगता है कि पाकिस्तान इस पूरे अभियान का हिस्सा था। वहीं जापानी मीडिया ने खुलासा किया था कि बाजवा ने अमेरिका से पाकिस्तान को लोन देने के लिए गुहार लगाया था। मीडिया रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ भी अभी कुछ दिनों पहले ही अमेरिका के दौरे पर गए थे। जनरल बाजवा के बातचीत और आईएसआई चीफ के दौरे से जवाहिरी के शिकार में पाकिस्तानी भूमिका की संभावना और ज्यादा बढ़ गई है।
इस वजह से अमेरिका की मदद
दरअसल, पाकिस्तान को आईएमएफ से लोन लेना है जो बिना अमेरिका की मंजूरी के नहीं मिल सकता है। इसी वजह से बाजवा ने अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी से बातचीत की थी। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अमेरिका ने अलकायदा चीफ के बदले पाकिस्तान को आईएफएम के साथ ही खुद आर्थिक मदद की भरोसा दिया है। दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ माइकल कुगलमैन ने भी कहा है कि इस बात की पूरी संभावना है कि पाकिस्तान ने इस कार्रवाई में अमेरिका की मदद की हो। कुगलमैन ने कहा, जब अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में घुसकर मारा था तब इस्लामाबाद और वॉशिंगटन के बीच रिश्ते बहुत खराब हो गए थे। संभवतः पाकिस्तानी मदद के साथ अब अमेरिका के अलकायदा सरगना जवाहिरी का अंत करने के बाद इस्लामाबाद को आने वाले वर्षों में बहुत बड़ा फायदा हो सकता है।
अस्थिरता पैदा कर सकता है पाकिस्तान
अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने काबुल में अल जवाहिरी की मौत पर पाकिस्तानी सेना की जनरल कमर जावेद बाजवा की अमेरिका से मांगी गई मदद पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पश्चिमी देशों की मदद से अफगानिस्तान में न सिर्फ सुरक्षा और वित्तीय व्यवस्थाओं में अस्थिरता ला रहा है, बल्कि यह साबित करने की कोशिश भी कर रहा है कि वह किस हद तक जाकर अस्थिरता पैदा कर सकता है। सालेह ने बीते कुछ दिनों पहले पाकिस्तान से काबुल दौरा करने वाले प्रतिनिधिमंडल पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यह डेलिगेशन पाकिस्तानी सेना की शह पर अफगानिस्तान आया था। पूर्व उप राष्ट्रपति सालेह ने अफगानिस्तान के हक्कानी नेटवर्क पर भी सवाल उठाए हैं।